जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही खुलकर आई सामने अबतक जिले में बिना जांच कराए दावा करते रहे कि जिले में नही है कोई सन्दिग्ध। जबकि जिले में तैनात जिलाधिकारी डॉ रूपेश कुमार खुद है एमबीबीएस एमडी डॉक्टर। कोरोना के मामले में सक्रियता दिखाने के बजाय खुद सिमटे हुए थे बंगले में। जिले में दो कोरोना सस्पेक्ट का डॉक्टरों ने नाक और गले से सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा लखनऊ। तीन दिन बाद आएगी जांच रिपोर्ट। इलाके में मचा हड़कम्प। बता दे कि जिले के कोहड़ौर थाना इलाके के चंदौका कल्यानी के 19 वर्षीय युवक का सैम्पल लिया गया तो वही जेठवारा इलाके के कटरा गुलाबसिंह के पास पूरे महन्थ के 18 वर्षीय युवक का भी सैम्पल लिया गया। बता दे इसी के साथ मुम्बई से 18 तारीख को आया पूरेतोरई का सतीश अग्रहरी में कोरोना के लक्षण सर्दी, जुकाम, बुखार और सांस लेनेबमे दिक्जत नजर आने पर स्थानीय डॉक्टर को दिखाया जिसके बाद डॉक्टर ने उसे सीएचसी या जिला अस्पताल में दिखाने को निर्देश दिया जिसके बाद सीएचसी के डॉक्टरों ने उसे 20 तारीख को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहा से उसे घर भेज दिया गया और 24 तारीख की रात लगभग 8 बजे उसकी मौत हो गई, और 25 तारीख को उसका अंतिम संस्कार गांव में ही कर दिया गया। इसके बाद जांच को पहुचे सीएमओ ने प्राथमिक उपचार करने वाले प्राइवेट डॉक्टर की क्लीनिक को ही सीज कर दिया। लेकिन उसके साथ आये दूसरे युवक की और परिजनों के टेम्परेचर की जांच कर दायित्वों की इतिश्री कर दी। अब जब भारी संख्या में आमद हो रही है परदेशियों की तो बढ़ी स्वास्थ्य महकमे की सक्रियता। खुद की पीठ थपथपाने की बजाय डॉक्टर जिलाधिकारी को पहले ही इस महामारी की सम्हालना चाहिए था कमान। अब सीएमओ बता रहे है कि बाहरी लोगों का आगमन हो रहा है तो हमने सैम्पल भेज है जांच को।

प्रतापगढ़। अमीर राईन

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