https://youtu.be/QBprI2NgQAQ
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बिना मास्क के सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है । चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने इस बारे में आदेश जारी करते हुए कहा है कि 3 लेयर वाला मास्क पहनना जरूरी है । इस मॉस्क को धो करके फिर से पहना जा सकता है । इसके साथ ही धुला हुआ अंगोछा भी प्रयोग में लाया जा सकता है । अमित मोहन ने बताया कि यदि कोई बिना मास्क के पाया गया तो उसके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
महामारी रोग अधिनियम, 1897 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को महामारी की रोकथाम के लिए विशेष उपाय करने की शक्ति देता है। कानून के मुताबिक, सरकार रोग से बचाव के लिए जरूरी नियमावली बना सकती है, यात्रा पर रोक लगा सकती है, लोगों को जांच, उपचार और प्रवास के लिए बाध्य कर सकती है। इन नियमों और आदेशों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ जुर्माना या आईपीसी, 1860 की धारा 188 के तहत यह दंडनीय अपराध माना जाएगा। इस कार्रवाई के खिलाफ वाद दाखिल नहीं हो सकता।
सजा का प्रावधान
महामारी एक्ट में नियमों और आदेशों के उल्लंघन पर एक से छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही 200 से 1000 रुपये तक जुर्माना भी लग सकता है। कोर्ट चाहे तो सजा और जुर्माना दोनों लगा सकती है।
किसी जानलेवा बीमारी, महामारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। आरोपी ने अगर जानबूझकर महामारी को फैलाने के लिए कदम उठाया हो। इसमें छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैर जिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
अंग्रेजों ने बनाया था कानून :
1897 में देश प्लेग की महामारी से जूझ रहा था। बंबई (तत्कालीन नाम) से इस रोग की शुरुआत हुई थी। इसने इतना और उन्हें रोक सकते थे।