फिर चली हवा प्रधानी की पैरों पर शीश झुकाने की ,अम्मा ,आजी,काकी,चाची से झूठी बात बनाने की ।। फिर हवा चली प्रधानी की कालोनी तुमको हम देंगे ।सरकार नहीं , सब हम देंगे ।भर देंगे पूरा जब कार्ड ,कर देंगे सब पिछला हिसाब।।राशन यूनिट बढ़ जाएगी ,पेंशन पूरी मिल जाएगी ।दो दो कम्बल मिल जाएगा,हैंड पम्प लग जायेगा ।। क्या सुबह शाम बहकाने की, फिर चली हवा प्रधानी की ।।घर घर उजियारा लायेंगे ।गलियों को साफ कराएंगे।एक खड़ंजा दो नामों से ,कभी नही लिखवाएंगे ।इज़्ज़त घर से इज़्ज़त देंगे ।जीवन मे रौनक ला देगे।जनता के सब सुख दायक हैं,बस हम ही वोट के लायक हैं ।। मक्कारी बात बनाने की , फिर चली हवा प्रधानी की।।जय राम, भीम जय , जय साईं,बोलें सलाम , गुरु पाय लागी ।रिश्तों में पालिश देते हैं ,पैरों की मालिश करते हैं ।।मुस्काते हैं, बहकाते हैं ।इठलाते हैं, कतराते हैं ।बहु रूप , रूप धर आते हैं, सुत भामाशाह बन जाते हैं । गिरगिट गुलाल बरसाने की फिर चली हवा प्रधानी की ।हलवा पूड़ी, रबड़ी, चम चम,गरम जलेबी, दूध केशर ,हड्डी ,बिरयानी, सब देंगे,मदिरा अंग्रेजी ला देंगे ।गोटे वाली साड़ी होगी ,चाचा का कुर्ता रेशम का ।भइया को सजाएंगे कॉटन में,मोबाइल में नेट पैक भरा देगे ।। जो कुछ खुसुर फुसुर बतियाने की, फिर चली हवा प्रधानी की।।हम तो आपके हैं अपने ।देखो किंचित भी न बदले ।सच्चे जनता के सेवक हैं,सधे हुए हम केवट हैं ।। अपना मतदन, हमे कर दो,बदले में चाहे कुछ ले लो ।जन जन से अपना नाता है,हम हरिश्चन्द्र के भ्राता हैं ।। घर घर में भेद कराने की , फिर चली हवा प्रधानी की । फिर चली हवा प्रधानी की ।
पत्रकार अंकुश यादव ने पंचायत चुनाव को देखते हुए ये कविता शुरू की