बच्चों को परीक्षा में गब्बर सिंह के किरदार के बारे में लिखने को कहा गया, तो एक लड़के ने लिखा कि…
उनकी सादा जिंदगी थी, भीड़-भाड़ से दूर जंगल में रहते थे।
एक ही कपड़ों में कई-कई दिन गुजार देते थे।
पानी की बचत के लिए कभी-कभार ही नहाते थे।
नियम और सिद्धांतों के इतने पक्के थे कि कालिया और उसके साथियों को प्रोजेक्ट ठीक से न करने पर सीधे गोली मार दी थी।
रहमदिली की तो बात ही मत पूछिए, ठाकुर को कब्जे में लेने के बाद सिर्फ उसका हाथ काटकर छोड़ दिया था, अगर वह चाहते तो उसका गला भी काट सकते थे।
कला और संगीत के शौकीन थे, उनके हेडक्वार्टर में डांस और म्यूजिक के प्रोग्राम चलते थे और सब खुशी से झूम उठते थे।
बसंती को देखते ही भाँप लिया था कि वह एक कुशल नर्तकी है।
मज़ाह को समझने वाले थे, कालिया और उसके साथियों को हँसाते-हँसाते मारा था, खुद भी ठहाके मार-मारकर हँसते थे, वह उस जमाने के लाफिंग बुद्धा थे।
औरत की इज्जत और सम्मान के मामले में बहुत संवेदनशील थे, बसंती के अपहरण के बाद सिर्फ उसका रक्स देखने की गुजारिश की थी।
फकीरी जिंदगी जी, उनके आदमी सिर्फ जिंदा रहने के लिए सूखा अनाज माँगते थे, कभी बिरयानी या चिकन टिक्का की माँग नहीं की।
सबसे अहम काम जो उन्होंने किया, वह यह कि जब तक जिंदा रहे, सामाजिक कार्यकर्ता बने रहे, रात को बच्चों को सुलाने का काम भी करते थे।