केंद्र सरकार ने माना है कि पेट्रोल और डीजल से उसे खूब कमाई हो रही है. सोमवार 15 मार्च 2021 को संसद में मोदी सरकार ने कहा कि 6 मई 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल (ब्रांडेड) पर 34.16 रुपये और प्रति लीटर डीजल (ब्रांडेड) पर 34.19 रुपये की कमाई की है. बिना ब्रांड वाले पेट्रोल पर सरकार ने प्रति लीटर 32.98 रुपये और डीजल पर 31.83 रुपये कमाए. ये मुनाफा पेट्रोल और डीजल पर लगे उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से हुआ है.
पिछले साल 14 मार्च से लेकर 5 मई तक सरकार को प्रति लीटर ब्रांडेड पेट्रोल पर 24.16 रुपये और प्रति लीटर बिना ब्रांड वाले पेट्रोल पर 22.98 रुपये का मुनाफ़ा हुआ है. डीजल की बात करें तो प्रति लीटर ब्रांडेड डीजल पर 21.19 रुपये और प्रति लीटर बिना ब्रांड वाले डीजल पर 18.83 रुपये का मुनाफ़ा हुआ है.
इससे पहले 1 जनवरी 2020 से लेकर 13 मार्च 2020 तक सरकार को प्रति लीटर ब्रांडेड पेट्रोल पर 21.16 रुपये और प्रति लीटर बिना ब्रांड वाले पेट्रोल पर 19.98 रुपये का मुनाफ़ा हुआ था. ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले डीजल पर यह कमाई प्रति लीटर 18.19 रुपये और 15.83 रुपये (क्रमशः) थी.
दरअसल, संसद सत्र के दौरान विपक्षों दलों ने सरकार से सवाल किया था कि वह तेल के दामों को नियंत्रित करने के लिए क्या कर रही है. इस पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने ईंधन पर ऊंचे उत्पाद शुल्क को सही ठहराया. उन्होंने बताया कि विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जमा करने लिए एक्साइज ड्यूटी को कैलिब्रेट किया गया है. इसलिए पेट्रोल और डीजल पर इस तरह से उत्पाद शुल्क तय किया गया है.
विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा था कि जब बाजार पेट्रोल और डीजल की कीमत तय कर रहा है तो पांच प्रदेशों में चुनाव के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमत स्थिर कैसे है? इस मामले पर अनुराग ठाकुर ने सफाई देते हुए कहा कि और देशों की तुलना में भारत में ईंधन की ऊंची-नीची कीमत के पीछे कई कारण हैं. इसमें अन्य देशों की सरकारों द्वारा दी जाने वाली रियायत भी शामिल है. सरकार इनका रिकॉर्ड नहीं रखती है.
हालांकि अनुराग ठाकुर ने माना कि पेट्रोल को वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों और केंद्र के बीच बातचीत की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकारें पेट्रोल उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर चर्चा करना चाहती हैं तो केंद्र सरकार को इससे कोई आपत्ति नहीं है. बकौल अनुराग राज्यों और केंद्र को इस मुद्दे पर मिलकर बात करनी की जरूरत है. उन्होंने कहा,
“राज्यों को पेट्रोल पर टैक्स कम करने चाहिए. हम भी पेट्रोल पर टैक्स कम करने का प्रयास करेंगे. केंद्र और राज्यों दोनों को इस पर विचार करने की जरूरत है.”
लेकिन इसी मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान वित्त राज्य मंत्री से उनके तालमेल पर सवाल उठाता है. सोमवार को ही निर्मला सीतारमण ने कहा कि फिलहाल सरकार के पास कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लेना का कोई प्रस्ताव नहीं है. सीतारमण ने यह जरूर कहा कि जीएसटी काउंसिल को जब उचित लगेगा तो वह पेट्रोल उत्पादों को जीएसटी में शामिल किए जाने को लेकर विचार करेगी. वित्त मंत्री ने कहा, ‘ईंधन के बारे में फैसला लेते हुए जरूरी पहुलओं को ध्यान में रखा जाएगा, जैसे रेवेन्यू पर इसका क्या असर पड़ेगा.’