कुएं से बकरी निकालना पड़ा भारी, जहरीली गैस ने ली बुजुर्ग की जान – एक बेहोश, दूसरा अस्पताल में भर्ती
रानीगंज, प्रतापगढ़ | विशेष रिपोर्ट

प्रतापगढ़ जनपद के फतनपुर थाना क्षेत्र में रविवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जिसने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। यह घटना उस वक्त हुई जब एक बकरी को बचाने के प्रयास में तीन लोग कुएं में उतर गए, लेकिन नीचे मौजूद जहरीली गैस ने इस प्रयास को त्रासदी में बदल दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, फतनपुर थाना अंतर्गत पूरे बिच्छूर, विरापुर गांव निवासी राजा राम की बकरी गांव के ही एक पुराने कुएं में गिर गई। घटना की जानकारी मिलने पर गांव के ही 16 वर्षीय प्रीतम पाल और दयाराम मौके पर पहुंचे और बिना किसी सुरक्षा उपाय के बकरी को बाहर निकालने के लिए कुएं में उतर गए। दोनों युवक रस्सी के सहारे नीचे पहुंचे, लेकिन कुछ ही मिनटों में उन्हें घुटन और बेचैनी महसूस होने लगी।

जब नीचे गए युवकों के बाहर न आने पर देरी होती देख 65 वर्षीय बबऊ (पुत्र झरीहग), जो मौके पर मौजूद थे, खुद भी मदद के लिए कुएं में उतर गए। लेकिन कुएं के भीतर मौजूद जहरीली गैस और ऑक्सीजन की कमी ने हालात को और खराब कर दिया।

दयाराम और प्रीतम किसी तरह जान बचाकर बाहर निकल आए, लेकिन बबऊ की कुएं में ही दम घुटने से मौके पर ही मौत हो गई।

घटना की खबर मिलते ही पूर्व प्रधान जितेन्द्र यादव मौके पर पहुंचे और बबऊ को बचाने की कोशिश में खुद भी बेहोश हो गए। आनन-फानन में स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें रानीगंज ट्रामा सेंटर लाया गया, जहां इलाज के बाद अब उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

फतनपुर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकलवाकर पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर है। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त कुआं वर्षों पुराना और गहरा है, जिसमें पहले भी गैस जमा होने की बातें सामने आई हैं।

ग्रामीणों की मांग: कुएं को तत्काल पाटने या कवर करने की जरूरत

इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि ऐसे पुराने व असुरक्षित कुएं प्रशासन की लापरवाही की वजह से जानलेवा बनते जा रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल ऐसे कुओं की जांच कराए और उन्हें बंद कराए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यह हादसा न सिर्फ एक बेजुबान जानवर को बचाने की मानवीय कोशिश का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि थोड़ी सी लापरवाही कैसे जान पर भारी पड़ सकती है।

> प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण रामचंद्र पाल ने बताया कि यदि प्रशासन या गांव के स्तर पर समय रहते कोई गाइडलाइन होती तो इस तरह की जानलेवा कोशिश नहीं होती। गांव वालों को यह भी समझना होगा कि बिना सुरक्षा के किसी भी जोखिम भरे काम को अंजाम देना जानलेवा हो सकता है।

सम्बंधित विभागों की लापरवाही पर उठे सवाल

यह घटना एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा से निपटने की तैयारियों और जागरूकता की कमी को उजागर करती है। ना तो कुएं के आसपास कोई चेतावनी चिन्ह था, ना ही गैस जैसी स्थिति से निपटने के लिए कोई संसाधन या व्यवस्था।

रिपोर्ट: रुस्तम अली, पत्रकार – प्रतापगढ़

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