बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के 5 दोषियों को आजीवन कारावास, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

बुलंदशहर, 1 अगस्त 2025
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र में हुई हिंसा और पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की निर्मम हत्या के मामले में कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शुक्रवार को जिला अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

जिन पांच लोगों को उम्रकैद की सजा दी गई है, उनके नाम हैं: प्रशांत नट, डेविड, जॉनी, राहुल और लोकेश मामा। अदालत ने इन सभी पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

इसके साथ ही, कोर्ट ने 33 अन्य दोषियों को हिंसा, आगजनी और हत्या की कोशिश के जुर्म में 7-7 साल की सजा सुनाई है। इन सभी पर 1 से 2 हजार रुपये तक का अर्थदंड लगाया गया है।

सरकारी वकील यशपाल राघव ने बताया कि जज गोपाल ने सभी दोषियों पर अर्थदंड लगाने का आदेश देते हुए कहा कि जुर्माने की 80 फीसदी राशि शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी को दी जाएगी, ताकि पीड़ित परिवार को कुछ राहत मिल सके।

गुरुवार को अदालत ने सभी 38 आरोपियों को दोषी करार दिया था और सजा के लिए 1 अगस्त की तारीख तय की गई थी। शुक्रवार शाम करीब 5:45 बजे अदालत ने फैसला सुनाया, जिसे न्याय की दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।

सजा पाने वालों में जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, बीजेपी और निषाद पार्टी के नेता, तथा आरएसएस के नगर कार्यवाह जैसे कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं। पुलिस ने इस मामले में कुल 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से 5 की मौत हो चुकी है, जबकि 1 आरोपी नाबालिग है।

क्या हुआ था 3 दिसंबर 2018 को?

स्याना कोतवाली के गांव महाव में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद इलाके में तनाव फैल गया था।
हिंदूवादी संगठनों और स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आरोप है कि योगेश राज ने भीड़ को भड़काया और सैकड़ों लोग एकत्र होकर चिंगरावठी पुलिस चौकी पर पहुंच गए।

भीड़ ने चौकी पर हमला कर दिया, पुलिस पर पथराव किया और चौकी को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में तत्कालीन कोतवाल सुबोध कुमार सिंह शहीद हो गए, जबकि चिंगरावठी निवासी युवक सुमित की भी गोली लगने से मौत हो गई।

पुलिस ने तत्काल एक्शन लेते हुए 27 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। वहीं, गोवंश हत्या के आरोप में भी 10 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। चार्जशीट में 44 आरोपी दोषी पाए गए, जबकि 16 को सबूतों के अभाव में क्लीन चिट मिली।

⚖️ फैसले के मायने

इस ऐतिहासिक फैसले ने यह संदेश दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है — चाहे वह किसी भी पार्टी, संगठन या पद से जुड़ा हो। 7 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला पीड़ित परिवार और कानून व्यवस्था में विश्वास रखने वालों के लिए न्याय की एक बड़ी मिसाल है।

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की शहादत को आज न्याय मिला है, और देश ने एक बार फिर साबित किया है कि भीड़तंत्र के आगे लोकतंत्र कमजोर नहीं पड़ता।

✍️ रिपोर्ट: रुस्तम अली
(पत्रकार, प्रतापगढ़)

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