प्रतापगढ़ में सड़कों पर दौड़ रहे 36,809 ‘मौत के पहिए’!

15 साल से खत्म पंजीकरण, अब होगी सीधी जब्ती और जेल

प्रतापगढ़। जिले की सड़कों पर खतरे की रफ़्तार तेज हो चुकी है। परिवहन विभाग के ताज़ा खुलासे ने आम जनता और प्रशासन दोनों को हिला दिया है। जिले में 36,809 ऐसे वाहन बेखौफ़ सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनका पंजीकरण 15 साल पहले ही समाप्त हो चुका है। इन गाड़ियों को न तो तकनीकी जांच मिली है, न ही किसी कानूनी अनुमति का नवीनीकरण, बावजूद इसके ये रोज़ाना लोगों की ज़िंदगी और सड़क सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं।

अंकड़ों की सच्चाई चौंकाने वाली है — इनमें 5,835 चारपहिया वाहन, 29,824 मोटरसाइकिलें और 1,150 मोपेड शामिल हैं। ये गाड़ियां, जिनका रजिस्ट्रेशन अब कानूनी रूप से अमान्य है, फिर भी खुलेआम सड़कों पर धूल उड़ाती और हॉर्न बजाती नजर आ रही हैं।

विभाग की चेतावनी पर भी वाहन मालिक बेपरवाह

परिवहन विभाग ने इन सभी वाहन मालिकों को नोटिस जारी कर साफ निर्देश दिया है — या तो पंजीकरण रिन्यू कराइए या सरेंडर कर दीजिए। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि चेतावनी के बावजूद अधिकतर वाहन मालिकों ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। कई वाहन मालिक तो मानो यह सोचकर बैठे हैं कि “जब पकड़े जाएंगे, तब देखेंगे।

पुराने वाहनों का खतरा सिर्फ प्रदूषण नहीं

एआरटीओ (प्रशासन) बी.के. सिंह ने सख्त लहजे में कहा —
“अब धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है। यदि कोई भी पुराना, एक्सपायर्ड पंजीकरण वाला वाहन सड़कों पर चलता मिला तो उसे मौके पर जब्त किया जाएगा। इसके अलावा वाहन मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि इन वाहनों से कोई सड़क हादसा होता है, तो मालिक को न सिर्फ भारी जुर्माना देना पड़ेगा, बल्कि गंभीर धाराओं के तहत जेल भी जाना पड़ सकता है। साथ ही, दोषी का ड्राइविंग लाइसेंस भी निलंबित किया जाएगा।

क्यों हैं ये वाहन खतरे के पहिए?

15 साल पुराने और पंजीकरण रहित वाहन केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं करते, बल्कि ये मशीनरी के लिहाज से भी खतरनाक हैं।

इनका ब्रेक सिस्टम कमजोर हो चुका होता है

इंजन की क्षमता घट जाती है

टायर फटने का खतरा बढ़ जाता है

और सबसे बड़ा खतरा — तकनीकी फिटनेस प्रमाणपत्र न होने से सड़क हादसे का रिस्क कई गुना ज्यादा हो जाता है।

परिवहन विभाग के अनुसार, ऐसे वाहन सड़क पर चलते समय समय-समय पर ‘चलती मौत’ में तब्दील हो सकते हैं।

लोग क्यों नहीं कराते रजिस्ट्रेशन रिन्यू?

जांच में यह भी सामने आया है कि कई वाहन मालिक जानबूझकर पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं कराते क्योंकि:

1. उन्हें लगता है कि पुरानी गाड़ी का कागज़ बनवाने का खर्च ज्यादा है।

2. फिटनेस टेस्ट में गाड़ी पास नहीं होगी।

3. कई गाड़ियां पहले से ही खराब हालत में हैं, लेकिन मालिक उन्हें ‘जुगाड़’ से चला रहे हैं।

अभियान की तैयारियां तेज

परिवहन विभाग ने पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर जिला-व्यापी चेकिंग अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत:

हाईवे और मुख्य मार्गों पर संयुक्त चेकपोस्ट बनाई जाएंगी।

हर संदिग्ध गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन पोर्टल पर तत्काल चेक किया जाएगा।

फर्जी कागजात दिखाने पर मौके पर ही वाहन सीज किया जाएगा।

पहली बार पकड़े जाने पर लाइसेंस और 5000 का जुर्माना और दूसरी बार ऐसे वहां से पकड़े जाने पर ₹10000 का जुर्माना वाहन चीज होगा

बीके सिंह का कहना है — “अब किसी को भी पुरानी गाड़ी के नाम पर सड़क पर आतंक फैलाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।”

दुर्घटना में बड़ा कानूनी संकट

विभाग के नियम साफ हैं — यदि 15 साल से अधिक पुराने, पंजीकरण समाप्त वाहन से किसी की जान जाती है या चोट आती है, तो:

वाहन मालिक पर आईपीसी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होगा।

बीमा क्लेम भी नहीं मिलेगा क्योंकि गाड़ी का बीमा पंजीकरण के बिना मान्य नहीं होगा।

आजीवन ड्राइविंग लाइसेंस रद्द हो सकता है।

आम जनता में डर और चर्चा

इस खुलासे के बाद जिलेभर में चर्चा तेज है। कई लोग कह रहे हैं कि ऐसे वाहन तो सालों से सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा था। वहीं, वाहन मालिकों में खलबली मच गई है। आरटीओ ऑफिस में अचानक रिन्यूअल आवेदन की भीड़ बढ़नई की उम्मीद आ गई है।

क्या करें वाहन मालिक?

विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर आपके पास 15 साल पुराना वाहन है, तो:

1. फिटनेस टेस्ट कराएं।

2. अगर पास हो जाए, तो तुरंत पंजीकरण नवीनीकरण कराएं।

3. अगर गाड़ी फिटनेस में फेल हो जाए, तो सरेंडर प्रक्रिया पूरी करें।

प्रतापगढ़ की सड़कें इन 36,809 ‘मौत के पहियों’ से जितनी जल्दी साफ होंगी, उतना ही लोगों की जान सुरक्षित होगी। यह सिर्फ कानून का मामला नहीं, बल्कि हर आम नागरिक की जिंदगी से जुड़ा मुद्दा है। अब देखना यह है कि विभाग की यह सख्ती कितनी दूर तक जाती है और कितने ‘बेपरवाह’ वाहन मालिक समय रहते जागते हैं।

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