अधूरी सड़क बनी परेशानी, ठेकेदार व जिम्मेदारों की लापरवाही से ग्रामीण परेशान
प्रतापगढ़। जनपद के मांधाता नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड संख्या 3 अवधूत में सड़क अधूरी छोड़े जाने से लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मान्धाता से हैंसी चौराहा जाने वाला यह मार्ग स्थानीय लोगों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग है, लेकिन ठेकेदार और विभागीय जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते करीब 100 मीटर सड़क आज तक अधूरी पड़ी है।
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के दोनों तरफ पक्की सड़क पहले ही बन चुकी है। शुरुआत से लेकर अंत तक सड़क का कार्य पूरा है, लेकिन बीच का एक हिस्सा वर्षों से अधूरा पड़ा है। इस वजह से न तो वाहन सुचारू रूप से निकल पा रहे हैं और न ही पैदल चलने वालों को सुविधा मिल रही है। बरसात के मौसम में यह अधूरी सड़क कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाती है, जिससे राहगीरों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है।
ग्रामीणों का दर्द स्थानीय निवासी मो. सेबू ने बताया कि आए दिन लोग इस अधूरी सड़क से परेशान होते हैं। छोटे बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है तो बुजुर्गों और महिलाओं को पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने सड़क निर्माण में गंभीर लापरवाही बरती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
वहीं, मल्लू का कहना है कि जब सड़क के दोनों ओर पक्की सड़क का काम पूरा हो चुका है तो बीच का हिस्सा अधूरा छोड़ देना कहीं से भी समझ में नहीं आता। यह साफ दर्शाता है कि काम में अनियमितता और लापरवाही बरती गई है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि तुरंत जांच कर सड़क निर्माण का काम पूरा कराया जाए।
इसी तरह शोएब ने बताया कि यह अधूरी सड़क आए दिन हादसों को न्योता देती है। बाइक और साइकिल सवार अक्सर गिर जाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
जिम्मेदार मौन ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों को कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण अधूरा छोड़े जाने की वजह से वे अपने ही क्षेत्र में मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।
कार्रवाई की मांग ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और नगर पंचायत से अपील की है कि अधूरी सड़क का निर्माण तत्काल पूरा कराया जाए। साथ ही ठेकेदार और संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।
लोगों का कहना है कि यदि उनकी समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे मजबूर होकर धरना-प्रदर्शन करेंगे।