रायपुर। भले ही ये खबर सुनने में थोड़ी अटपटी सी लगे। इसे पढ़ने के बाद आप सवाल भी करेंगे कि आजाद भारत में यह कैसे संभव है, मगर यह सच है। छत्तीसगढ़ का एक हाईवे नक्सलियों के कब्जे में है। वे 22 साल से इस पर कब्जा किए हैं। जब भी यहां कोई काम शुरू होता है तो नक्सली सरकारी विभाग और सुरक्षा बलों पर हमला करने लगते हैं। इसके लिए वे बारसूर-पल्ली स्टेट हाईवे पर सिलेंडर और प्रेशर कुकर वाले बमों का इस्तेमाल करते हैं। सोमवार को सीआरपीएफ और जगदलपुर पुलिस ने इस सड़क पर 13 बम बरामद किए हैं। सीआरपीएफ की 195वीं वाहिनी के अफसरों का कहना है कि वे इस सड़क को नक्सलियों के कब्जे से छुड़वा कर ही दम लेंगे। बहुत जल्द इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा होगा। यह हमारी जिद है कि 2021 में इस स्टेट हाईवे पर गाड़ियां सरपट दौड़ती हुई नजर आएंगी।
बता दें कि बारसूर-पल्ली स्टेट हाईवे एक ऐसी सड़क है, जो छत्तीसगढ़ के कई जिलों को आपस में जोड़ती है। दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव, बस्तर और बीजापुर की सीमा उक्त सड़क से लगती है। दो दशक बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक यह हाईवे पांच जिलों को आपस में नहीं जोड़ सका है। वजह, नक्सलियों ने इसे रोक रखा है। सरकार ने इस पर अब काम शुरू किया है। मकसद है कि सड़क को इस साल के अंत तक नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाकर इसका निर्माण पूरा करा लिया जाए। नक्सली कहां मानने वाले थे। उन्होंने वे आए दिन यहां पर हमला करना शुरू कर दिया। हमला भी कोई ऐसा वैसा नहीं होता, बल्कि उसमें घातक हथियारों जैसे एके 47, एसएलआर, इन्सास राइफल और एक्स 95 के अलावा आईईडी ब्लास्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
पिछले कुछ दिनों में यहां पर 35 से ज्यादा आईईडी बरामद की गई हैं। इनमें सिलेंडर बम और प्रेशर कुकर बम शामिल है। गत शनिवार को नक्सलियों ने यहां गश्त कर रही रोड ओपनिंग पार्टी पर घात लगाकर हमला कर दिया था। पहले आईईडी ब्लास्ट किया गया और उसके बाद फायरिंग शुरू कर दी। इसमें छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स के दो जवान शहीद हुए और सीआरपीएफ का एक एएसआई घायल हो गया था। ये सभी जवान निर्माणाधीन सड़क की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे। इस हमले को मारदुम थाना क्षेत्र में बोदली कैंप के निकट अंजाम दिया गया। सीआरपीएफ ने मौके पर पहुंचकर नक्सलियों को खदेड़ा।
सीआरपीएफ की 195 वीं वाहिनी भी इस सड़क को खुलवा कर ही दम लेगी
अधिकारियों के अनुसार, सीआरपीएफ की 195वीं वाहिनी के जांबाजों ने ये जिद पाल रखी है कि वे चालू वर्ष में इस सड़क को सामान्य वाहनों के लिए उपलब्ध करा देंगे। छत्तीसगढ़ के पांच जिले इस सड़क से जुड़ जाएंगे। सीआरपीएफ के जांबाजों की उपस्थिति से नक्सली भली भांति परिचित हैं।
वे जानते हैं कि बहुत जल्द सीआरपीएफ इस सड़क को अपने कब्जे में ले लगी। यही वो इलाका है, जहां पर नक्सली समूह अपनी बैठकें करते रहे हैं। इसी मार्ग के जरिए वे हितावाड़ा, वाया तोड़मा होते हुए बाकेली और उसके बाद कचनार तक जाते हैं।
यही वो मार्ग है जो नक्सलियों को बोदली, पुसपाल मालेवाही, पिच्चिकोडेर, अमलीडीह और भटपाल व एरपुंड तक पहुंचाता है। सीआरपीएफ ने पुसपाल के आसपास अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। दूसरे कई जगहों पर भी इस बल ने अपनी पहुंच बनाई है।
नक्सलियों को इसका अहसास है, इसलिए वे लगातार यहां आईईडी दबाकर सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। मात्र दो-तीन माह में तीन दर्जन आईईडी बरामद होने का मतलब नक्सलियों की मंशा समझने के लिए काफी है। सीआरपीएफ उन पर दबाव बनाने में काफी हद तक कामयाब हो गई है। अब जल्द ही उन्हें यहां से खदेड़ दिया जाएगा।
रायपुर से इस्तेखार अहमद की रिपोर्ट