पेंशनरों और कर्मचारियों का भत्ता झटकने की नौबत क्यों? एक महीने में सरकार की आर्थिक हालत खराब कैसे हो गई, ?

आप छह साल से क्या कर रहे हैं कि महीने की बन्दी ने भिखमंगी ला दी?

आपने अभी-अभी रिजर्व बैंक से 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रु लिए थे।

लगातार सस्ते होते पेट्रोल पर टैक्स ठोंक कर आपने एक अनुमान के मुताबिक 20 लाख करोड़ रु कमाए हैं।

GST से भी आपका कलेक्शन आप ही के अनुसार बढ़ा है।

इनकम टैक्स में भी आप कह रहे हैं कि अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

अभी वित्त वर्ष की शुरुआत ही है। सारे मदों के पैसे आपके पास बचे ही हैं।

सभी कम्पनियों के CSR के पैसे भीआपने ही ले लिए हैं।

सांसदों के 2 साल के फंड भी जब्त ही कर लिए।

राष्ट्रपति से लेकर सांसद तक के वेतन से पैसे भी 30 फीसदी तक ले लिए।

टाटा और अन्य कम्पनियों ने भी हजारों करोड़ का चंदा दे ही दिया।

पर मात्र 20 हजार कोरोना मरीज मिलने पर आपकी हालत ये हो गयी कि अब कर्मियों और पेंशनरों की पेंशन पर भी आफत ला दी?

बुजुर्गों को महँगाई राहत का जो उनका हक था, उसे भी छीनना पड़ गया आपको? क्या इसी आर्थिक हालत के बल पर 5 ट्रिलियन का जोश मार रहे थे? पूरी दुनिया के दादा बन रहे थे? कहीं सही में कोरोना ने वाकई इटली और अमेरिका जैसा जोर पकड़ लिया, या किसी देश से युद्ध छिड़ जाए तो क्या कीजियेगा? इराक, ईरान, कोरिया और अनेक देश कड़े अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद भी इतने लाचार न हुए थे। ये कहाँ आ गया देश

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