महाशिवरात्रि पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएंबाबा बेलखरनाथ मन्दिर (धाम) उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद मे सई नदी के किनारे पर स्थित हैं। बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़ मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर जामताली दीवामगंज मार्ग पर ग्राम सभा यहियापुर में लगभग 90 मीटर ऊँचे टीले पर स्थित है। महाशिवरात्रि पर यहाँ 1 महीने तक बड़ा मेला चलता है जिसमे कई जिलो से दर्शनार्थी व संत महात्मा यहाँ आकर पूजन प्रवचन किया करते हैं। प्रत्येक शनिवार को यहाँ दर्शन करने हजारो की संख्या में लोग आते है।बाबा बेलखरनाथ मंदिर का नाम बिलखरिया राजपूतो के नाम पर पड़ा। कई दशकों पहले सई नदी के किनारे की उपजाऊ जमीन पर ऋषिवंश के दिक्खित वंश कश्यप गोत्र के बिलखरिया राजपूतों का एक छत्र राज्य था। बिलखरिया राजपूतों का मूल उद्गम राजस्थान या बिहार के आसपास की कोई जगह मानी जाती है। हालांकि इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हो पाया है कि बिलखरिया राजपूत इतनी दूर से परगना पट्टी में किस उद्देश्य से आए थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजस्थान के किसी प्रांत में भयानक सूखा पड़ने के कारण बिलखरिया राजपूतों को वहां से पलायन करना पड़ा। सूखे की त्रासदी झेलने के बाद उन्होंने तय किया कि अब वह उसी जगह निवास करेंगे जहां पर कोई नदी बहती हो। कुछ समय उन्होंने इलाहाबाद के किसी भाग में गंगा नदी के किनारे वास किया पर बारिश के समय गंगा नदी में आने वाली बाढ़ के कारण उन्हें फिर से पलायन करना पड़ा। आखिरकार उन्होंने सईं नदी के किनारे एक ऊँचे टीले पर अपना निवास स्थापित किया। यहाँ पर न तो सूखा पड़ने की संभावना थी और न ही बाढ़ आने की। बिलखरिया राजपूतों ने बेलखरनाथ कोट का निर्माण कराया। जिसका खंडहर आज भी मौजूद है।बिलखरिया राज्य के विनाश के बाद इस किले तथा शंकर जी के स्थान पर जंगल बन गया जहाँ लोग लकड़ी काटने जाया करते थे। एक दिन एक व्यक्ति की नजर शिव जी पर पड़ी तो उसने पत्थर समझ कर शिवलिंग पर अपनी कुल्हाड़ी तेज करना शुरू कर दिया और पत्थर पर कुल्हाड़ी मार दी जिसका निशान आज भी मौजूद है मंदिर बनने से पहले वहाँ पर अरघा का टुटा हुआ भाग विद्यमान था। उसी समय भगतो ने शिवलिंग के ऊपर छप्पर बना दिया बाद में भगवान शिव की प्रेरणा से राजा दिलीपपुर द्वारा वहाँ छत का निर्माण कराया गया।राजा दिलीपपुर ने कई बार मंदिर बनवाने का प्रयास किया। दिन में तो मंदिर बनती पर दूसरे दिन मंदिर गायब रहती। लोग हैरान थे कि ऐसा क्यूँ हो रहा है। इसी बीच गांव के निवासी शिव हरख ब्रह्मचारी ने मंदिर बनवाने का प्रयास तो उन्हें पूजा अर्चना के बाद तीन पीढ़ी में मंदिर बनने का ज्ञान हुआ।धाम परिसर में राम, जानकी, हनुमान जी और विश्वकर्मा भगवान के मंदिरों के साथ ही कई धर्मशालाएं और सराय का भी निर्माण किया गया है। पूर्व मंत्री प्रो ओझा वर्तमान सरकार में मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने अपने सफल प्रयासों से विभिन्न कार्य सम्पन्न करवाये है पीपल के वृक्षों से आच्छादित मंदिर परिसर तक सीढ़ी नुमा रास्ते और चारों तरफ फैला जंगल इसकी शोभा में चार चांद लगा रहे हैं।