यूपी: ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का नए सिरे से होगा आरक्षण, अपनाया जाएगा चक्रानुक्रम फॉर्मूला
पंचायतीराज निदेशालय ने त्रिस्तरीय पंचायतों के वार्डों केआरक्षण का फॉर्मूला शासन को भेज दिया है। इसमें बदलाव नहीं हुआ तो ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का आरक्षण नए सिरे से होगा। आरक्षण चक्रानुक्रम में होगा, लेकिन पिछली बार अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित पंचायतों के इस बार इन वर्गों के लिए आरक्षण नहीं होगा। नए नगरीय निकायों के गठन या सीमा विस्तार का असर आरक्षण निर्धारण पर पड़ने की संभावना है।
त्रिस्तरीय पंचायतों के आंशिक परिसीमन की प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है। इसके बाद प्रत्येक ब्लॉक में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला क्रम में बनाई जाएगी। इसमें यह भी अंकित किया जाएगा कि वर्ष 1995 में कौन की ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।
फॉर्मूला बनाया गया है कि एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक में अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में अवरोही (गिरते हुए) क्रम में आवंटित की जाएगी। आरक्षण का निर्धारण चक्रानुक्रम में किया जाएगा, लेकिन लेकिन 2015 में जो पंचायत एससी या एसटी के लिए आरक्षित थी, उन्हें इस बार एससी या एसटी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपकी ग्राम पंचायत में वर्ष 2015 में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था तो इस बार पिछड़े वर्ग की महिला को मौका मिल सकता है। इसी तरह अगर ओबीसी के लिए पंचायत आरक्षित थी तो महिला को मौका मिल सकता है। आरक्षण निर्धारण का यह फॉर्मूला ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पद भी लागू होगा।
विज्ञापन
शासन तय करेगा संख्या, डीएम निर्धारित करेगा आरक्षण
जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद पर आरक्षण संबंधी कार्यवाही शासन करेगा। जिलावार प्रमुखों और विकास खंडवार प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या शासन व निदेशालय स्तर से तय करके जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक जिले में क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के आरक्षित पदों, विकासखंडवार ग्राम पंचायतों के प्रधानों के आरक्षित पदों और तीनों स्तर की पंचायतों में आरक्षित वार्डों के आवंटन की कार्यवाही डीएम करेंगे।