सुप्रीम कोर्ट ने कुख्यात अपराधी शहाबुद्दीन के केस में दी गई व्यवस्थाओं को आधार बनाते हुए यूपी के मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से बांदा जेल में भेजने का आदेश दिया। कोर्ट ने राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव के केस को भी आधार बनाया। पप्पू यादव पूर्व सांसद हैं और अदालत से बरी हो चुके हैं। ये दोनों केस 2005 और 2017 के हैं। कोर्ट ने दोनों को ही पटना से दिल्ली की जेल में स्थानांतरित करवा दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण और एसआर रेड्डी की पीठ ने 56 पन्नों के फैसले में कहा कि भले ही अपराधी को स्थानांतरित करने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई याचिकाएं विचारणीय न हों, लेकिन कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 (पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मिली असाधारण शक्तियां) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पूर्ण न्याय के वास्ते कैदी को जेल से स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता है।

शहाबुद्दीन को 2017 में तिहाड़ जेल लाया गया था
कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन मामले में मारे गए पत्रकार की पत्नी आशा रंजन की याचिका पर कोर्ट ने 2017 में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल कर शहाबुद्दीन को पटना की बेउर जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थानांतरित किया था। इसी व्यवस्था को इस मामले में आधार माना जा रहा है और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को बांदा जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया जा रहा है।

कोर्ट मूक दर्शक बनकर नहीं बैठ सकता
कोर्ट ने कहा था कि जेल मैन्युअल में विचाराधीन कैदी का एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का प्रावधान नहीं है, लेकिन यदि परिस्थितियां मांग करती हैं और कानून के शासन को पूरी शक्ति के साथ चुनौती दी जाती है तो कोर्ट मूक दर्शक बनकर नहीं बैठ सकता। कानून के हाथ इतने लंबे हैं कि वे किसी भी स्थिति का इलाज कर सकते हैं और कानून का शासन स्थापित करने के लिए कैदी या विचाराधीन कैदी को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेज सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि कैदी के वकील का यह कहना कि जेल मैन्युअल में विचाराधीन कैदी के स्थानांतरण के प्रावधान नहीं है तो यह दलील कानून के अधिकरण और गौरव को कमतर करने का प्रयास है। तथ्य कहते हैं कि अपराधी ने जेल से ही अपराधों को अंजाम दिया है। जेल प्रशासन तथा पटना मेडिकल कॉलेज कानूनों का मजाक उड़ाने देने में उसकी मदद कर रहे हैं।

अंसारी ने डिफाल्ट बेल के लिए आवेदन क्यों नहीं किया
कोर्ट ने कहा कि इस केस में अंसारी ने पंजाब की जेल में रहते हुए डिफाल्ट बेल के लिए भी आवेदन नहीं किया है। जबकि चार्जशीट दायर नहीं होने पर वह धारा 167 के तहत जमानत के लिए आवेदन कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इससे साफ है कि वह पंजाब जेल में ही रहना चाहता है और यूपी में अभियोजन से बचना चाहता है।

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