लखनऊ। मुशायरों और ख़ासकर नौजवानों और बुजुर्गों में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले और सपा महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आज़्मी के बड़े करीबी माने जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय शायर शहज़ादा कलीम को लेकर इन दिनों सियासी गलियारे में चर्चा बनी हुई है।सियासी चाणक्यों का मानना है कि समाजवादी पार्टी शहज़ादा कलीम पर उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव को ध्यान रखते हुए प्रदेश की सियासत को लेकर मुस्लिम नौजवानों को भ्रमित होने से बचाने के लिये दाँव लगा सकती है।
उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बाक़ी हैं और सभी पार्टियाँ ख़ासकर कांग्रेस और AIMIM मुस्लिम वोटरों ख़ासकर नौजवानों को आकर्षित कर उनके वोट बैंक को हासिल करने के लिये हर कोशिश कर रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के लिये शहज़ादा कलीम नौजवानों को आकर्षित करने के लिये एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में शहज़ादा कलीम से प्रचार कराकर उनका ट्रायल भी ले चुकी है।
शहज़ादा कलीम समाजवादी पार्टी के बड़े लीडर में शामिल महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आज़्मी के काफी करीबी माने जाते हैं |
दूसरी तरफ़ चर्चा ये भी है कि पिछले कई सालों से विधान सभा चुनावों में उनके गृह जनपद प्रतापगढ़ से समाजवादी पार्टी ने किसी भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया, जबकि प्रतापगढ़ की सातों विधानसभा में मुस्लिम निर्णायक वोट बैंक की भूमिका निभाता है। जिसको लेकर प्रतापगढ़ के मुस्लिम वोटरों में ख़ासी नाराज़गी भी है। जिसके ही परिणामस्वरूप 2019 के प्रतापगढ़ की एक सीट के विधानसभा उपचुनाव में AIMIM प्रत्याशी को एक मुश्त वोट देकर प्रतापगढ़ के मुस्लिम वोटरों ने अपनी नाराज़गी का इज़हार भी किया, जिसके चलते AIMIM ने प्रतापगढ़ में अपना संगठन भी मज़बूत किया और हर दिन नौजवानों और ज़िले के वोटरों पर अपनी पकड़ मज़बूत करने में लगी है।
इन सारी परिस्थितियों के मद्देनज़र आख़िलेश यादव इस बार प्रतापगढ़ की एक विशेष सीट पर अपना मज़बूत मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का फ़ैसला भी कर चुके हैं। चर्चा ये भी है कि समाजवादी पार्टी शहज़ादा कलीम को प्रतापगढ़ की उस विशेष सीट क़् प्रत्याशी घोषित कर एक तीर से दो निशाना साध सकती है। हालांकि शहज़ादा कलीम इस तरह की किसी भी संभावना पे बात करने से इनकार करते हैं। लेकिन सियासी गलियारों के जानकार इस बात पर आशंकित हैं कि यदि समाजवादी पार्टी शहज़ादा कलीम पर दाँव लगाती है तो प्रदेश के नौजवानों को आकर्षित करने में वो कितना कामयाब होंगे ये वक़्त तय करेगा लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ में दूसरी पार्टियों के समीकरण को शहज़ादा कलीम के आने से ख़ासा नुकसान पहुँचेगा।