इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों के मुद्रीकरण की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार के बढ़ते कदम गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के क्रियान्वयन हेतु सिक्योरिटाइज़ेशन के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से रु. 5100.00 करोड़ की ऋण-स्वीकृति,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हमारा राज्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

राज्य सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों में चहुंमुखी औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अनेकों नए आयाम जोडे़ हैं।

राज्य में कोविड-19 महामारी के चलते हुए भी औद्योगिक निवेश को बढ़ावा दिए जाने के साथ साथ समस्त उत्तर प्रदेश क्षेत्र को राष्ट्रीय बाज़ारों से त्वरित कनेक्टिविटी देने के लिए एक्सप्रेसवे का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है

अब उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण का कार्य तेजी से प्रगतिशील है इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 594 किमी. होगी और यह उत्तर भारत का सबसे लम्बा और देश का दूसरा सबसे लम्बा एक्सप्रेसवे होगा। इस एक्सप्रेसवे के लिए आवश्यक भूमि के लगभग 92 प्रतिशत से अधिक भूमि क्रय की जा चुकी है। इस एक्सप्रेसवे की लागत लगभग 36,230.00 करोड़ आंकलित की गई है जिसके वित्तीय प्रबंधन के लिए शासन प्रतिबद्ध है। केंद्रीय वित्त मंत्री महोदया ने अपने केंद्रीय बजट 2021-22 अभिभाषण में देश के विभिन्न भागों में समन्वित विकास के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ज़ोर देते हुए ‘‘राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन’’ और ‘‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’’ की वृहद अवधारणा प्रतिपादित की थी

इसके अंतर्गत यूपीडा, जो कि राज्य में एक्सप्रेसवे निर्माण हेतु शासन द्वारा निगमित अथॉरिटी है, द्वारा पंजाब नेशनल बैंक से रु. 5100.00 करोड़ के ऋण की स्वीकृति प्राप्त की गई है जिसका उपयोग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नव-निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना हेतु किया जाएगा।

इस अवधि में एक्सप्रेसवे का स्वामित्व और संचालन यूपीडा द्वारा ही किया जाता रहेगा। इस प्रकार से सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों के मुद्रीकरण का न सिर्फ प्रदेश में, बल्कि समस्त उत्तर भारत में यह प्रथम नवोन्मेषी प्रयास है।

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