मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली क्षेत्र के फूलत गाँव के मूल निवासी मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की पहचान बड़े धर्म गुरु में की जाती है। ग्लोबल पीस सेंटर के अध्यक्ष और जमीयत-ए-वलीउल्लाह ट्रस्ट के भी अध्यक्ष हैं।
साल 1987 में उन्होंने खतौली क्षेत्र के गाँव फुलत में जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया की स्थापना की मौलाना के मदरसे में क़रीब 300 छात्र पढ़ाई करते हैं।
सात सितंबर को मुंबई में ‘राष्ट्र प्रथम और राष्ट्र सर्वोपरि’ के नाम से आयोजित एक कार्यक्रम में भी वे शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि थे।
मौलाना कलीम सिद्दीक़ी का परिवार दिल्ली के शाहीन बाग़ में रहता है लेकिन गाँव में उनके परिवार के अन्य लोग रहते हैं और उनके एक बेटे वहीं डेयरी का व्यवसाय करते हैं।
फुलत गाँव के ही रहने वाले मौलाना कलीम सिद्दीक़ी के पड़ोसी और रिश्ते में उनके भतीजे मोहम्मद शाहनवाज़ बताते हैं मौलाना कलीम प्रतिष्ठित और ज़मींदार घराने से है।उनकी प्रारंभिक शिक्षा फुलत गाँव के ही एक मदरसे में हुई खतौली से ही इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और एमएससी की।
स्थानीय लोगों के मुताबिक़, मौलाना कलीम और भी मदरसे व स्कूल चलते और वो देश भर में ग़रीब मुसलमान बच्चों की पढ़ाई और सामाजिक सुधार के कामों में जुड़े हुए हैं
शाहनवाज़ आलम बताते हैं कि हरियाणा में स्वामी अग्निवेश के साथ मिलकर उन्होंने शराब बंदी अभियान में भी हिस्सा लिया था।देश-विदेश में धार्मिक कार्यक्रमों में अक्सर हिस्सा लेते है।
मौलाना कलीम की गिरफ़्तारी के बाद अब कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जो मौलाना पर कथित धर्मांतरण का आरोप लगा रहे हैं लेकिन उनके गाँव फूलत और आस-पास के गाँव वालों को इस बात का यक़ीन नहीं है
अरविंद कश्यप का आरोप है कि कुछ साल पहले उन्हें खुड्डा गाँव में दो मुस्लिम युवकों ने धर्म परिवर्तन करने की सलाह दी थी.
वहीं फूलत गांव के ही रहने वाले दिनेश चौधरी इस बात से हैरान हैं कि मौलाना कलीम सिद्दीक़ी को अवैध धर्मांतरण मामले में गिरफ़्तार किया गया है.
वो कहते हैं। अगर मौलाना ऐसा कर रहे होते तो अपने गाँव में भी धर्मांतरण कराते। यहाँ तो किसी का धर्मांतरण नहीं हुआ और न ही कभी किसी ने मौलाना पर संदेह जताया हर किसी की मदद करते थे।अब कैसे इस रैकेट में वो घुस गए, या फिर उन्हें जबरन फँसाया जा रहा है, यह सब हम लोग क्या जानें
वो कहते अभी कुछ दिन पहले मौलाना कलीम सिद्दीक़ी को आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत जी का निमंत्रण आया था और वो उनके बुलावे पर वहाँ गए थे बात समझ से परे है कि आरएसएस के कार्यक्रम में अगर किसी को निमंत्रण आता है तो उसकी पुलिस और एलआईयू जाँच होती है। अगर वो किसी फ़ंडिंग में शामिल थे तो उन्हें आरएसएस के कार्यक्रम में क्यों बुलाया गया? और यदि उनकी गतिविधियां संदिग्ध थीं तो अब तक पुलिस और एटीएस क्या कर रही थी?
उनके भतीजे मोहम्मद शाहनवाज़ कहते हैं, राजनीतिक षड्यंत्र के तहत ये गिरफ़्तारी की गई है क्योंकि यदि पुलिस को और एटीएस को यह सब पता था तो अब तक क्यों नहीं की गई गिरफ़्तारी? दूसरी बात, जो लोग सामने आ रहे हैं और धर्मपरिवर्तन का आरोप लगा रहे हैं, ये भी अभी तक क्यों चुप थे?