MLA Election System: जिस तरह केंद्र सरकार के पास विधायी निकाय के रूप में संसद होती है वैसे ही राज्यों के पास अपनी राज्य विधानमंडल होती हैं. सामान्यतः विधानमंडल में विधानसभा और राज्यपाल होता है.

भारत में एक राज्य के विधायी निकाय को राज्य विधानसभा कहा जाता है. जिस तरह केंद्र सरकार के पास विधायी निकाय के रूप में संसद होती है, उसी तरह राज्यों की अपनी-अपनी राज्य विधानसभाएं होती है. हालाँकि, संसद द्वारा पारित कानून पूरे देश पर लागू होता है. जबकि, राज्य विधान सभा द्वारा पारित कानून केवल राज्य पर लागू होता है.

एक सदनीय विधानमंडल का सीधे शब्दों में अर्थ विधानसभा से है वहीं द्विसनीय प्रणाली में किसी विधानसभा के अलावा विधानपरिसद होता है. जिसे क्रमशः निम्न सदन और उच्च सदन के नाम से जाना जाता है. 28 राज्यों में से 6 राज्यों में द्विसदनीय राज्य विधायिका है.

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UP Election 2022: विधायक की सैलरी कितनी होती है? MLA कैसे बनते हैं? जानिए सब कुछ
भारत में एक राज्य के विधायी निकाय को राज्य विधानसभा कहा जाता है. जिस तरह केंद्र सरकार के पास विधायी निकाय के रूप में संसद होती है, उसी तरह राज्यों की अपनी-अपनी राज्य विधानसभाएं होती है. हालाँकि, संसद द्वारा पारित कानून पूरे देश पर लागू होता है. जबकि, राज्य विधान सभा द्वारा पारित कानून केवल राज्य पर लागू होता है.

एक सदनीय विधानमंडल का सीधे शब्दों में अर्थ विधानसभा से है वहीं द्विसनीय प्रणाली में किसी विधानसभा के अलावा विधानपरिसद होता है. जिसे क्रमशः निम्न सदन और उच्च सदन के नाम से जाना जाता है. 28 राज्यों में से 6 राज्यों में द्विसदनीय राज्य विधायिका है.

विधायक किसे कहते हैं

विधानसभा विधायकों से मिलकर बना हुए एक संवैधानिक ढांचा है. सीधे तौर पर एक प्रतिनिधि निर्वाचन क्षेत्र के लोगों द्वारा चुना जाता है और वह विधान सभा का सदस्य बनता है. विधायक 5 साल के लिए चुने जाते हैं. एक प्रतिनिधि किसी पार्टी या स्वतंत्र रूप से विधानसभा चुनाव में भाग ले सकता है.

विधायक बनने की योग्यताएं

वह भारत का नागरिक होना चाहिए.

उसकी न्यूनतम उम्र 25 साल होनी चाहिए.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार एक व्यक्ति को उस राज्य के किसी भी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक होना चाहिए.

वह किसी भी केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो.

वह पागल या दिवालिया न हो.

विधायक की सैलरी

विधायक के वेतन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार देश में संबंधित राज्य विधानसभाओं द्वारा तय किया जाता है. हालांकि एक राज्य के विधायकों की सैलरी दूसरे राज्यों के विधायकों की सैलरी में अंतर है. तेलंगना के विधायकों की सैलरी सबसे अधिक है वहीं सबसे कम त्रिपुरा के विधायकों की सैलरी है.

राज्य सैलरी प्रति माह

तेलंगना 2,50,000 रुपये

दिल्ली 2,10,000 रुपये

उत्तर प्रदेश 1,87,000 रुपये

महाराष्ट्र 1,70,000 रुपये

जम्मू एवं कश्मीर 1,60,000 रुपये

उत्तराखंड 1,60,000 रुपये

आंध्र प्रदेश 1,30,000 रुपये

हिमाचल प्रदेश 1,25,000 रुपये

राजस्थान 1,25,000 रुपये

गोवा 1,17,000 रुपये

हरियाणा 1,15,000 रुपये

पंजाब 1,14,000 रुपये

झारखंड 1,11,000 रुपये

मध्य प्रदेश 2,10,000 रुपये

छत्तीसगढ़ 1,10,000 रुपये

बिहार 1,14,000 रुपये

पश्चिम बंगाल 1,13,000 रुपये

तमिलनाडु 1,05,000 रुपये

कर्नाटक 98,000 रुपये

सिक्किम 86,500 रुपये

केरल 70,000 रुपये
गुजरात 65,000 रुपये

ओडिशा 62,000 रुपये

मेघालय 59,000 रुपये

पुदुचेरी 50,000 रुपये

अरुणाचल प्रदेश 49,000 रुपये

मिजोरम 47,000 रुपये

असम 42,000 रुपये

मणिपुर 37,000 रुपये

नागालैंड 36,000 रुपये

त्रिपुरा 34,000 रुपये

इसके अलावा विधायकों को अन्य भत्ते भी मिलते हैं. उत्तर प्रदेश में एक विधायक को 5 साल में विधायक निधि से 7.5 करोड़ रुपये काम कराने के लिए मिलता है.

विधायक का कार्यकाल खत्म होने के बाद 30 हजार रुपये पेंशन के रूप में मिलता है इसके अलावा 8,000 रुपये फ्यूल खर्च और आजीवन मुफ्त रेलवे पास और मेडिकल सुविधाएं मिलती है.

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