Flex Fuel Engines : सरकार देश में अगले 6-8 महीनों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन को अनिवार्य कर सकती है. इसका मतलब है कि सरकार सभी वाहन विनिर्माताओं से यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाने के लिए कहेगी.
नई दिल्ली: ऑटोमोबाइल सेक्टर में केंद्र सरकार ने बीते कुछ सालों में कई बड़े कदम उठाए हैं और नए प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं. देश की सड़कों पर कम प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को कम करने की कोशिश के तहत Vehicle Scrap Policy कानून हो या ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए FASTag की शुरुआत हो, ऐसे कई सारे प्रोजेक्ट्स हैं, जिनकी शुरुआत केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने की है. अब सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का अगला निशाना फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर है. जानकारी है कि सरकार देश में अगले 6-8 महीनों में फ्लेक्स इंजन (Flex Engine) को अनिवार्य कर सकती है. अभी हाल ही में नितिन गडकरी ने सार्वजनिक रूप से ये बात कही थी. उन्होंने कहा था कि ‘फ्लेक्स फ्यूल इंजन को हम अगले छह-आठ महीनों में लागू कर सकते हैं, ये मेरे हाथ में है.’ इसका मतलब है कि सरकार सभी वाहन विनिर्माताओं से यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाने के लिए कहेगी.
गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘हम यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन के निर्माण की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देने की योजना बना रहे थे … लेकिन अब मुझे लगता है कि हम सभी वाहन विनिर्माताओं से अगले 6-8 महीनों में यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन (जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकता है) बनाने के लिए कहेंगे.’ गडकरी ने इसके पहले कहा था कि ‘मेरी एक इच्छा है. मैं अपने जीवनकाल में देश में पेट्रोल और डीजल के उपयोग को रोकना चाहता हूं और हमारे किसान इथेनॉल के रूप में इसका विकल्प दे सकते हैं.’
क्या होता है फ्लेक्स फ्यूल इंजन?
बता दें कि फ्लेक्स इंजन गाड़ियों में लगने वाले ऐसे इंजन को कहते हैं, तो ‘फ्लेक्स फ्यूल’ या लचीले ईंधन पर काम करता है. फ्लेक्स फ्यूल गैसोलीन और मेथेनॉल या इथेनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. एथेनॉल एक तरीके का जैविक ईंधन होता है, जो गन्ना, मक्का और अन्य अपशिष्ट खाद्य पदार्थों से तैयार होता है, इससे प्रदूषण कम फैलता है. फ्लेक्स फ्यूल इंजन एक तरीके से 2 in 1 तकनीक की काम करता है क्योंकि ऐसे इंजन में आप चाहे तो गाड़ी पेट्रोल पर चला सकते हैं या बस एथेनॉल पर चला सकते हैं.
ऑटोमोबाइल टुटू धवन ने बताया कि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में लोग मिक्स्ड एथेनॉल पर भी गाड़ी चला सकते हैं या फिर प्योर एथेनॉल पर. ये एथेनॉल के ऑक्टेन रेटिंग पर निर्भर करता है क्योंकि जैसे-जैसे एथेनॉल की रिफाइनमेंट बढ़ती है, वैसे ही उसकी रेटिंग भी बढ़ जाती है.
फ्लेक्स फ्यूल की कीमत पेट्रोल के मुकाबले सस्ता भी होगा क्योंकि जहां पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के ऊपर चल रही है, वहीं, एथेनॉल की कीमत 60 से 75 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से मिल रहा है, ऐसे में यह आपकी जेब पर हल्का भी पड़ेगा. हालांकि, ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां जब आएंगी तो वो कितनी सस्ती होंगी या कितनी महंगी होंगी. वहीं, उस वक्त फ्लेक्स फ्यूल की उपलब्धता क्या होगी.
वैसे गडकरी ने दावा किया है कि सभी वाहन विनिर्माताओं के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य होने के बाद वाहनों की लागत नहीं बढ़ेगी.