विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सपा ने सियासी संग्राम में उतरने के लिए कमर कस ली है। पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली थी। कुंडा और बाबागंज विधानसभा में सपा ने राजाभैया और उनके समर्थक विनोद सरोज को समर्थन दिया था।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कुंडा विधानसभा से लगतार पांच बार से विधायक बाहुबली राजाभैया के सामने मजबूत प्रत्याशी उतारने के लिए समाजवादी पार्टी ने कमर कस ली है। इसके लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है। पिछले दो चुनाव से सपा कुंडा में रघुराज प्रताप सिंह राजाभैया और बाबागंज सुरक्षित सीट पर उनके समर्थक प्रत्याशी विनोद सरोज को समर्थन दे रही है। इस बार सपा इन दोनों सीटों पर दमदार प्रत्याशी उतारकर राजाभैया को टक्कर देने का मन बना रही है।

विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सपा ने सियासी संग्राम में उतरने के लिए कमर कस ली है। पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली थी। कुंडा और बाबागंज विधानसभा में सपा ने राजाभैया और उनके समर्थक विनोद सरोज को समर्थन दिया था। अब 2022 के चुनाव में जातीय समीकरणों और भाजपा से नाराज वोटरों को लामबंद कर पार्टी ने फिर से 2012 के नतीजे दोहराने की हसरत पाल रखी है। जिले की चार सीटों पर सपा सीधी लड़ाई में दिखती नजर आ रही है।

जिले में 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कुंडा में राजाभैया तो बाबागंज में विनोद सरोज को समर्थन दिया था। इसके अलावा रामपुर खास, विश्वनाथगंज, पट्टी, रानीगंज व सदर से अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस चुनाव में मतदाताओं ने सदर, रानीगंज, विश्वनाथगंज व पट्टी की सीट सपा की झोली में डाली थी। रामपुर खास में कांग्रेस को जीत मिली थी। 2017 के चुनाव में सपा को निराशा हाथ लगी थी।

जिले की चार सीटों पर सपा सीधी लड़ाई में
सीधे तौर पर उसे एक भी सीट नहीं मिली। कुंडा व बाबागंज में सपा ने समर्थन दिया था। वहां से राजाभैया व विनोद सरोज की जीत हुई थी। भाजपा ने अद एस के साथ चार सीटों पर जीत हासिल की थी। आगामी विधानसभा चुनाव में जिले की चार सीटों पर भाजपा व अदएस की सपा से सीधी लड़ाई मानी जा रही है। जिले में कई नेताओं ने दलबदल किया है। विश्वनाथगंज से अदएस से विधायक, भाजपा के पूर्व विधायक बृजेश सौरभ, पूर्व ब्लॉक प्रमुख शांति सिंह व राजकुमार सिंह राय साहब, भाजपा नेता अश्वनी सोनी समेत बसपा से पट्टी विधानसभा का चुनाव लड़ चुके शक्ति सिंह भी सपा में आ चुके हैं।

इससे सपा के स्थानीय नेताओं का उत्साह बढ़ा है। पट्टी, सदर व विश्वनाथगंज कुर्मी, यादव व मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है। इस लिहाज से जातीय समीकरण को साधने में जुटी सपा का अपना दल कमेरावादी, जनवादी सोशलिस्ट, महान दल, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भीम सेना समेत अन्य छोटे दल से भी समझौता हो गया है। पिछले चुनाव में बागी चाचा शिवपाल सिंह यादव भी अब भतीजे अखिलेश के साथ मैदान में हैं।

कई प्रत्याशियों ने किए हैं आवेदन
सपा से चुनाव लड़ने के लिए पट्टी विधानसभा में जहां पिछड़ी जाति के नेताओं ने बड़ी संख्या में आवेदन किए हैं, वहीं रानीगंज से ब्राह्मण, मुस्लिम और यादव नेताओं ने आवेदन कर रखे हैं। सदर से सामान्य, वैश्य, मुस्लिम, पिछड़ी जाति, विश्वनाथगंज विधानसभा से पिछड़ी जाति, ब्राह्मण, मुस्लिम के अलावा क्षत्रिय बिरादरी के दावेदार भी आवेदन कर चुके हैं। इस बार कुंडा, बाबागंज से भी सपा सशक्त प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी में है। रामपुर खास में अभी तक केवल कुर्मी और यादव बिरादरी के दावेदारों ने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किए हैं।


प्रत्याशी घोषित करने के बाद असंतोष का भी करना पड़ेगा सामना


अपना दल एस से विश्वनाथगंज विधायक, भाजपा से पूर्व विधायक बृजेश सौरभ, पूर्व प्रमुख शांति सिंह, बसपा से सपा में शामिल हुए शक्ति सिंह भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग रहे हैं। अपने नेताओं की दिन-रात परिक्रमा कर रहे हैं। जबकि पार्टी का झंडा सालों से उठा रहे नेता भी टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। टिकट घोषित होने के बाद लगातार चुनाव प्रचार में जुटे कार्यकर्ताओं व नेताओं की नाराजगी का भी सामना पार्टी नेतृत्व को करना पड़ सकता है। बगावत करने वाले नेताओं संग कार्यकर्ताओं को चुनाव तक जोड़े रखना किसी चुनौती से कम नहीं है।

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