याचिका के मुताबिक इस मामले में कई शिकायत दर्ज की गई लेकिन इस तरह की घटना को रोकने के लिए प्रशासन और राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई है। इस कारण ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है।
पिछले कुछ वक़्त से गुरुग्राम में नमाज को लेकर हो रहे विवाद पर हरयाणा की खट्टर सरकार सुप्रीम कोर्ट में फंस गई है। शीर्ष अदालत हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है। ये याचिका राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब की तरफ से दायर की गई है।
आज सोमवार को शीर्ष अदालत में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया। जिसपर सीजेआई ने कहा कि मैं इस पर गौर करूंगा और तुरंत उचित बेंच के सामने लिस्ट करूंगा। वहीं मोहम्मद अदीब की ओर से पेश हुई वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह याचिका केवल समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर आधारित नहीं है, हमने स्वयं शिकायत दर्ज की है। हम FIR को लागू करने के लिए नहीं कह रहे हैं। इस अदालत ने कई उपाय सुझाए हैं।
मोहम्मद अदीब ने अपनी याचिका में हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जुमे की नमाज इस्लाम में एक आवश्यक प्रथा मानी जाती है और गुरुग्राम में भी दिन के समय इस नमाज को पढ़ने के लिए प्रशासन द्वारा कई जगह निर्धारित किए गए हैं। लेकिन हालिया दिनों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां बिना स्थानीय लोगों के समर्थन के कुछ लोगों ने नमाज रोकने की कोशिश की। इससे पूरे शहर में नफ़रत का माहौल बन गया है।
याचिका के अनुसार इस मामले में कई शिकायत दर्ज की गई लेकिन इस तरह की घटना को रोकने के लिए प्रशासन और राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई है। इस कारण ऐसी घटनाओं में तेज़ी हो रही है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 2018 में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करने में विफल रहे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश में भीड़ की हिंसा और लिंचिंग को रोकने के लिए कई दिशानिर्देश दिए थे और इस तरह की घटना को रोकने के लिए कमिटी बनाने का भी आदेश दिया था।
बता दें कि पिछले कुछ समय से गुरुग्राम में खुले में नमाज को लेकर काफी विवाद हो रहा है। नमाज का विरोध कर रहे हिंदू संगठनों का आरोप है कि जिस जगह पर नमाज अदा की जाती है, वहां बाद में कब्ज़ा हो जाता। पिछले दिनों हिंदू संगठनों के विरोध के कारण खुले में नमाज पढने वाले जगहों की संख्या 37 से घटाकर 20 कर दी गई थी।