रानीगंज/प्रतापगढ़। बीएसपी ने से दूर जाता दिख रहा उनका मूल वोटर ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए अजय यादव को बनाया है प्रत्यशी उसके बाद भी मुस्लिम के साथ बैकवर्ड कार्ड फेल नज़र आता दिख रहा है यूं कहें कि बीएसपी रानीगंज से हवाँ में लड़ रही चुनाव?

दलितों पर भरोसा माना जाता है कि दलित बीएसपी का परंपरागत वोटर है। खराब से खराब हालत में भी बीएसपी को 18-20 फीसदी वोट मिले तो इसमें सबसे ज्यादा योगदान दलितों का ही रहा। यही वजह है कि ब्राह्मण सम्मेलन करने के बावजूद मायावती यह कहना नहीं भूलतीं कि दलितों ने पार्टी का बुरे वक्त में भी साथ दिया। उन्होंने चुनाव से पहले ही यह ऐलान भी कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी दलित ही होगा।

रिजर्व सीटें जीतने के लिए अभी से भीमराव अम्बेडकर और अन्य दलित नेताओं को आगे करके सभाएं की जा रही हैं। वे बता रहे हैं कि दलितों को सबसे ज्यादा अहमियत बीएसपी ही दे सकती है। लेकिन उसके बाद भी दलित वोटरों में विश्वास नही दिला पा रही है अगर हम प्रतापगढ़ की विधानसभा रानीगंज की बात केकिया जाए तो यहाँ से पिछले चुनाव में बीएसपी ने शकील अहमद को उम्मीदवार बनाया था जो आठ 8000 वोटों से भाजपा से हार गए थे पार्टी ने इस बार नया दांव खेलते हुए यादव समाज से अजय यादव को उम्मीदवार बनाया है।लेकिन अभी तक अजय यादव दलित वोटरों के साथ मुस्लिम,यादव समाज को भी अपने साथ जोड़ने में नाकाम दिखते नज़र आ रहे है

इस विधानसभा में बीएसपी के मुस्लिम वोटर 70% तक वोट कई विधानसभा चुनाव से देते आ रहे है लेकिन मुस्लिम अभी इस पार्टी से दूरी बनाते नजर आ रहे है।सपा व AIMIM के साथ कांग्रेस के भी साथ जाते नजर आ रहे है

वही बीएसपी का मूल वोटर कहाँ जाने वाला दलित समाज भी बंटता हुआ नजर आ रहा है Aimim ने रानीगंज विधानसभा से दलित उम्मीदवार बनाया है अनिल सरोज को जो वर्तमान जिला पंचायत सदस्य है सरोज जी की भी दलित समाज मे मजबूत पकड़ रखते है बड़ी संख्या में दलित समाज का कहना है कि हमारे समाज की ही अबकी बार विधायक होगा।

समाजवादी पार्टी ने रानीगंज विधानसभा से पूर्व प्रमुख विनोद दूबे को प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन विरोध के चलते उनका टिकट काट दी जिसके बाद से कई नामो की चर्चा चल रही है वही कुछ लोगो का कहना है कि विनोद दूबे को ही टिकट दे सकती है।

वही भाजपा की बात करे तो प्रत्याशी की घोषणा अभी तक नही की है लेकिन कई नामो की चर्चा बड़ी जोरो से है जिसमे सब से मजबूत सपा से भाजपा में गए पूर्व मंत्री शिवाकान्त ओझा का नाम के साथ , समाजसेवी पंकज मिश्रा, वर्तमान विधायक धीरज ओझा, वही युवा नेता पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा का नाम शामिल है।

जिस जाति के ओबीसी ज्यादा, उसको टिकट
अब रही बात ओबीसी की तो यहां पार्टी की योजना है कि अगर कहीं उनकी संख्या बहुत ज्यादा है तो वहां उनके प्रतिनिधि को टिकट दिया जाए। इनमें भी खासकर यह देखा जाएगा कि किस जाति के ज्यादा वोटर हैं। रामअचल राजभर और लालजी वर्मा जैसे बड़े ओबीसी नेता बीएसपी से अलग हो चुके हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को ओबीसी वोटरों को जोड़ने का जिम्मा दिया गया है।

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