छ.ग – बलोद जिला मे 21वीं सदी और आधुनिक जमाने में जहां पर वातानुकूलित बंद गाड़ियों में दूल्हा दुल्हन को ले जाया जाता है. छत्तीसगढ़ की इस प्राचीन परंपरा की झलक जब लोगों को दिखे तो उनकी आंखें ठहर गई और हर कोई इसे अपने अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करना चाहा. देखते ही देखते यहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ लग गई. परिवार वालों के साथ साथ अन्य राहगीर भी रुक कर इस अनोखे दूल्हा दुल्हन के स्वागत को देखने के लिए खड़े रहे लोगों में जमकर उत्साह देखने को मिला
जानिए किसकी हुई शादी: ग्रामीणों ने बताया कि “धनुष यादव के यहां उसके पुत्र किशन यादव की बारात गांव पाकुरभाट से बेल्हारी गई हुई थी. किशन यादव ने वहां से दुर्गा यादव को विवाह कर अपने गांव लाया. उनके परिवार वालों ने प्राचीन परंपरा के अनुसार बैलगाड़ी से दुल्हन का स्वागत किया. बैलगाड़ी की सवारी कर उन्हें गांव भ्रमण कराते हुए घर ले गए.
*क्यों सजाई गई बैलगाड़ी* आज दूल्हा दुल्हन को घर तक ले जाने के लिए उनके परिवार वालों ने पूरी व्यवस्था की हुई थी. यहां पर बैलगाड़ी और बैल को भी सजाया गया था. सजाए हुए इस बैलगाड़ी में दूल्हा-दुल्हन को बैठाया गया और साथ में कुछ बच्चे भी उसमें बैठे. जिसके बाद पूरा परिवार उन्हें बाजे गाजे के साथ स्वागत करके अपने घर ले गए.
दिखनी चाहिए परंपरा की झलक- परिवार : दूल्हे के पिता धनुष यादव ने बताया कि “प्राचीन परंपरा की झलक दिखनी चाहिए. हमारे बाप दादा हम स्वयं बैलगाड़ी में बारात लेकर आते थे और आज की युवा पीढ़ी इन सब बातों को भूल गई है. हमने छोटा सा प्रयास किया है और काफी अच्छा लगा कि लोगों ने इसकी तारीफ की. बच्चे के सवाल पर हमने बताया कि हम तो पूरी बारात बैलगाड़ी में ले गए थे. उसी में खाने पीने का सामान रखकर आराम से बारात निकाली थी.”