नाले में डूबे युवक की दूसरे दिन एसडीआरएफ की टीम ने शव को ढूंढ निकाला
प्रतापगढ़।जनपद के रानीगंज थाना क्षेत्र के जरियारी गांव के रहने वाले अंसार अहमद का बड़ा बेटा अरबाज 23 वर्ष का शव आज सेनाहुआ नाले में एसडीआरएफ टीम ने ढूंढ निकाला शव को नदी से ठीक 50 मीटर पहले एक पेड़ की डाल के पास से एसडीआरएफ ने निकाला अरबाज के शव मिलने की सूचना के बाद मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया शव मिलने के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल
जामताली चौकी प्रभारी हरि मोहन राजपूत का कहना है की नाले में डूबे हुए युवक का शव दूसरे दिन लगभग 12 बजे एसडीआरएफ की टीम को मिला शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराने के लिए भेज दिया परिजन आज ही देर शाम शव को सुपुर्द खाक कर देगे
पूरा मामला शनिवार सुबह गांव के दोस्तो और अपने छोटे भाई के साथ मैनहा के सेनाहुवा नाले के बांध पर सुबह 7:00 मछली पकड़ने के लिए गया था सभी एक जगह मछली पकड़ने के लिए जाल लगाए थे लेकिन अरबाज थोड़ी देर के बाद बांध के पास तीन लोगों को लेकर गया को उधर मछली ज्यादा आयेगी वहा पर सभी जाल लगा दिए थे और बांध पर बैठे थे तभी पानी के बहाव से अरबाज का संतुलन बिगड़ा और वह पानी में गिर गया और डूबने लगा साथियों से मदद की गुहार लगाने लगा साथ में रहे अन्य लोगो ने उसको बचाने के लिए जाल उसके ऊपर फेंका लेकिन तब तक वह पानी में समा गया
चश्मदीदों की की माने तो अरबाज स्विमिंग भी करता था लेकिन बांध के पास गिरने से उसके सर में चोट लगने की वजह से वह बाहर नहीं आ सका लोग ऐसा भी अनुमान लगा रहे हैं कि जिस जगह डूबा है वहां पानी का बहाव बहुत तेज है जिसकी वजह से वह गहरे पानी में समा गया वही कुछ लोग कहना है कि जब वह युवक डूब गया तो स्थानीय लोगों वहां पर मौजूद लोग लोग समय पर बता देते तो उसकी डेड बॉडी को पास ही ढूंढा जा सकता था लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने वहां से आकर घर पर परिजनों को बताई परिजन वहां पर पहुंचे और पुलिस की सूचना दी तब तक काफी समय बीत चुका था।अरबाज महाराष्ट्र के मुंबई शहर में ट्रक चलाता था अभी दो दिन पहले ही वह मुंबई से घर आया था अरबाज की शादी दो साल पहले ही हुई थी बीस दिन पहले ही उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है। बेटे का हकीका करने के लिए घर आया था
अंसार अहमद लच्छीपुर बाजार में जूता चप्पल की दुकान खोल रखी है तीन लड़कों में सब से बड़ा बेटा था। अरबाज जो उनका सहारा था वही घर पर परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है।