प्रतापगढ़ के चर्चित पत्रकार और अधिवक्ता: रुस्तम अली

रुस्तम अली – गांव की गलियों से जनपद के मंच तक का सफर

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रुस्तम अली एक ऐसा नाम है जो प्रतापगढ़ जनपद की पत्रकारिता और विधिक क्षेत्र में एक अलग पहचान रखता है। पत्रकार और अधिवक्ता दोनों रूपों में अपनी भूमिका निभा रहे रुस्तम अली का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है। वे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज थाना क्षेत्र स्थित कस्बा रानीगंज के पुरेगोलिया गांव के निवासी हैं।एक साधारण परिवार से निकलकर पत्रकार, अधिवक्ता, शिक्षाविद् और समाजसेवी के रूप में पहचान बनाना आसान नहीं होता। लेकिन रुस्तम अली ने कठिन संघर्षों, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच अपने संकल्प और मेहनत के बल पर यह असाधारण सफलता अर्जित की।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

रुस्तम अली का जन्म 10 मई 1994 को रानीगंज में हुआ था। वे एक साधारण मिडिल क्लास मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता का नाम कैसर अली है, जबकि उनके दादा मोहम्मद सईद जिन्हें लोग “बुचुन लंबरदार” के नाम से जानते थे, इनकी मृत्यु 1 सितम्बर 2017 को एक लम्बी बीमारी के बाद हो गई है । अपने समय में क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। रुस्तम के पिता और दादा दोनों मुंबई में टैक्सी चालक के रूप में कार्यरत रहे। यही साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि ही उनके मजबूत इरादों और संघर्षशील व्यक्तित्व की नींव बनी। परिवार मेहनतकश और ईमानदार था। पूरे परिवार में शिक्षा का माहौल न के बराबर था, लेकिन रुस्तम अली ने शिक्षा को ही अपनी जीवन-रचना का केंद्र बना लिया।

पत्रकारिता में शुरुआत और सफर

रुस्तम अली ने वर्ष 2012 में पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हुए समाज की समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाया। उनकी निष्पक्ष रिपोर्टिंग, निर्भीकता और सामाजिक सरोकारों को लेकर प्रतिबद्धता ने उन्हें प्रतापगढ़ जनपद के चर्चित पत्रकारों में शुमार कर दिया। वह रानीगंज क्षेत्र से जुड़ी जमीनी खबरों, जनहित के मामलों और सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने में हमेशा सक्रिय रहे हैं। उनके समाचारों में न केवल तथ्य होते हैं, बल्कि उसमें आम जनता की पीड़ा और संवेदना भी झलकती है।

2018 में उन्होंने अपने डिजिटल न्यूज़ पोर्टल

➡ “रूबरू इंडिया न्यूज़”की स्थापना की, जो आज प्रतापगढ़ जनपद ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक भरोसेमंद समाचार स्रोत बन चुका है। बाद में यह पोर्टल के साथ साथ RNI (भारत सरकार का समाचार पत्र पंजीयन विभाग) से मान्यता प्राप्त अखबार में तब्दील हो गया। Web site: www rubaruindia.com

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रुस्तम अली न केवल रिपोर्टर हैं, बल्कि संपादक, संस्थापक और पत्रकारिता के एक सच्चे प्रहरी भी हैं। प्रतापगढ़ जनपद में यदि पत्रकारिता और विधिक सेवा के समर्पित नामों की चर्चा होती है, तो उसमें रुस्तम अली का नाम भी  लिया जाता है।

विधिक पेशा और समाज सेवा

पत्रकारिता के साथ साथ रुस्तम अली ने एलएल.बी. की शिक्षा पूरी करने के बाद जिला न्यायालय प्रतापगढ़ में बतौर फौजदारी अधिवक्ता (Criminal Lawyer) सीनियर अधिवक्ता मो नसीम खां (पूर्व अपर शासकीय अधिवक्ता) जूनियर के काम शुरू किया। वह खास तौर पर उन गरीब और वंचित लोगों के लिए खड़े होते हैं, जिन्हें न्याय पाना कठिन होता है। उनके काम में निष्ठा, तर्कशीलता और संवेदनशीलता का अनोखा संगम देखने को मिलता है  वे कई मामलों में जनहित याचिकाओं और गरीबों की निशुल्क सहायता के लिए जाने जाते हैं।

उनकी विशेषताएं:

गरीब और पीड़ितों के लिए नि:शुल्क सलाह।

मुकदमों में पारदर्शिता और ईमानदारी।

कानूनी जागरूकता अभियान में सक्रिय भागीदारी।

शिक्षा क्षेत्र में योगदान

2014 में रुस्तम अली ने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक अहम कदम उठाया। उन्होंने सराय भरत राय, रानीगंज, प्रतापगढ़ में “एम.आई. मेमोरियल स्कूल” की स्थापना की, जो कक्षा 1 से 12 तक की शिक्षा प्रदान करता है। यह स्कूल उनके सामाजिक सरोकार और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस स्कूल के माध्यम से वे ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी सोच स्पष्ट है—”शिक्षा ही सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम है।”

व्यक्तित्व और मूल विचार

रुस्तम अली का जीवन संघर्ष, कर्तव्य और सेवा की त्रयी से बना है। एक पत्रकार के रूप में वे जहाँ समाज की आवाज बनते हैं, वहीं एक वकील के रूप में न्याय की लड़ाई लड़ते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को सशक्त बनाने का कार्य कर रहा है। उनकी सोच साफ है—”सत्य, सेवा और शिक्षा से ही समाज का उत्थान संभव है।”


शिक्षा की मजबूत नींव

रुस्तम अली की शिक्षा का सफर बेहद साधारण विद्यालयों और सीमित संसाधनों से शुरू हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुई।

इसके बाद उन्होंने एक मदरसे में कक्षा 5 तक पढ़ाई की।

फिर “इकरा पब्लिक स्कूल” में आठवीं तक शिक्षा प्राप्त की।

2010 में हाईस्कूल की परीक्षा स्वामी करपात्री इंटर कॉलेज, रानीगंज से उत्तीर्ण की।

2012 में इंटरमीडिएट बीरपुर के राय बद्री पाल सिंह इंटर कॉलेज से किया।

स्नातक (B.A.) की शिक्षा अबुल कलाम आजाद महाविद्यालय, राजापुर से पूरी की।

बाद में विधि क्षेत्र की ओर रुझान हुआ और उन्होंने तेवथर, रीवा (म.प्र.) से LLB (विधि स्नातक) की डिग्री हासिल की।और वही से मास कम्युनिकेशन की भी पढ़ाई की

इनकी शिक्षा की यात्रा संसाधनों की कमी के बावजूद कभी रुकी नहीं—यह उनके आत्मबल और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


एक सामाजिक सोच, एक संवेदनशील व्यक्तित्व

रुस्तम अली का व्यक्तित्व सिर्फ पत्रकार और वकील तक सीमित नहीं है। वे समय-समय पर रक्तदान शिविर, पर्यावरण जागरूकता अभियान, गरीबों को कंबल वितरण, छात्रवृत्ति वितरण जैसे सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

वह मानते हैं:

“मीडिया, कानून और शिक्षा—तीनों का उद्देश्य अगर जनसेवा हो, तो समाज निश्चित रूप से बदल सकता है।”


सम्मान और पहचान

रुस्तम अली को उनके कार्यों के लिए विभिन्न स्थानीय मंचों द्वारा सम्मानित किया गया है।
उनकी पहचान सिर्फ एक रिपोर्टर या अधिवक्ता के रूप में नहीं, बल्कि एक जन-आवाज़ और संघर्षशील रोल मॉडल के रूप में हो चुकी है।


निष्कर्ष: एक प्रेरक नाम, जो रुकना नहीं जानता

रुस्तम अली की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस हर युवा की प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखता है।
वे एक उदाहरण हैं कि यदि नीयत साफ हो, मेहनत निरंतर हो और समाज के प्रति समर्पण हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।

“रुस्तम अली – वह नाम जो सिर्फ पत्रकारिता या कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि एक बदलाव की शुरुआत है।”


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