प्रतापगढ़ में सामूहिक आत्महत्या की कोशिश: एक परिवार, चार जिंदगियां और कई अनुत्तरित सवाल
— रिपोर्ट: रुस्तम अली
प्रतापगढ़ जनपद के मानधाता कस्बे में सोमवार रात एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जहां एक ही परिवार के चार सदस्यों ने सामूहिक रूप से जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। रात करीब 11:30 बजे यह घटना हुई, जब राकेश सोनी के परिवार के अजय सोनी (32), रोहित सोनी (28), खुशबू सोनी (25), और जानकी सोनी (55) ने यह खौफनाक कदम उठाया।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए घर का शटर तोड़कर चारों को बचाया और तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मानधाता पहुंचाया, जहां से उन्हें राजा प्रताप बहादुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। फिलहाल सभी की हालत स्थिर बताई जा रही है।

वजह क्या वाकई एक शादी?
बताया जा रहा है कि घटना की जड़ में अजय सोनी की शादी है। दो वर्ष पूर्व अजय ने अमेठी निवासी गीता सोनी से मंदिर में शादी की थी। हाल ही में गीता ससुराल लौटी तो परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। बात इतनी बढ़ी कि मामला थाने तक पहुंचा और सोमवार को पुलिस अधीक्षक के आदेश पर अजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
सोशल मीडिया और दबाव की राजनीति?
अपर पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) शैलेंद्र लाल ने इस घटना को लेकर एक और गंभीर संकेत दिया। उन्होंने कहा कि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया है, जिससे यह संदेह गहराता है कि कहीं यह कृत्य पुलिस पर दबाव बनाने या जांच को प्रभावित करने का प्रयास तो नहीं? यदि ऐसा पाया गया, तो संबंधित सभी पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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उठते हैं कई गंभीर सवाल:
1. क्या पारिवारिक कलह आत्महत्या की हद तक ले जा सकती है?
यदि हां, तो समाज और प्रशासन को समय रहते ऐसे मामलों की पहचान क्यों नहीं हो पाती?
2. क्या शादी को लेकर समाज का दखल व्यक्तिगत जीवन पर भारी पड़ रहा है?
आखिर दो बालिगों की सहमति से हुई शादी को परिवार या समाज क्यों नकारता है?
3. क्या पुलिस कार्रवाई की टाइमिंग और मुकदमा दर्ज होने से परिवार मानसिक दबाव में आया?
और अगर हां, तो क्या पुलिस को संवेदनशील मामलों में कोई काउंसलिंग या सामाजिक मध्यस्थता करनी चाहिए?
4. सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया जाना क्या सुनियोजित कदम था या भावनात्मक आवेग में लिया गया फैसला?
यह पहलू जांच का विषय जरूर होना चाहिए।
5. प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी क्या सिर्फ एफआईआर तक सीमित है?
ऐसी घटनाएं संकेत हैं कि कहीं कुछ और भी टूट रहा है — भरोसा, संवाद और समझदारी।
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अंत में…
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि समाज की मानसिक स्थिति का भी आइना है। व्यक्तिगत फैसलों पर सामाजिक हस्तक्षेप, परिवार में संवाद की कमी और कानूनी डर — ये सब मिलकर एक विस्फोटक स्थिति बना सकते हैं। जरूरत है समय रहते चेतने की, समझने की और संवाद बढ़ाने की।
“कभी-कभी आत्महत्या की कोशिश एक चीख होती है – जिसे समाज ने सुनने से इनकार कर दिया।”
ऐसी घटनाओं में संवेदना के साथ जिम्मेदारी की भी जरूरत है। सवाल पूछना जरूरी है, ताकि कल फिर कोई परिवार इस राह पर न जाए।