बांस के सहारे चल रही ज़िंदगी – कब मिलेगा पक्का पुल?
प्रतापगढ़ के सैकड़ों गांवों की जनता जान जोखिम में डालने को मजबूर, विधायक-सांसद बने मूकदर्शक!
रानीगंज/विश्वनाथगंज (प्रतापगढ़) –
बकुलाही नदी पर एक पक्का पुल आज भी सपना बना हुआ है। ग्राम पहाड़पुर गजेहड़ा, गुलरा (खंडापार), महदेवरी, शेखनपुर, भावलपुर, खमपुर, दुबेपट्टी सहित कई गांवों के लोगों की ज़िंदगी एक अस्थायी बांस के पुल पर टिकी है, जो हर साल बारिश में बह जाता है।


जनता का सवाल है – क्या हम भारत के नागरिक नहीं हैं? क्या हम पक्के पुल के लायक नहीं?
यह कोई राजनीति नहीं, जीवन-मरण का सवाल है।

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हर दिन जोखिम – हर कदम पर डर
ग्रामीणों ने बताया कि इस बांस के पुल से रोजाना बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, बीमार लोग, स्कूली छात्र और मजदूर निकलते हैं। लेकिन एक फिसलन या तेज पानी उनका सबकुछ बहा सकता है।
रामसूरत यादव (70), ग्राम गुलरा:
> “हम बचपन से इस पुल को देख रहे हैं, तब से अब तक सरकारें बदल गईं, नेता बदल गए – लेकिन पुल वही का वही है। क्या हमारा जीवन इतना सस्ता है?”
रुकसाना बेगम (महिला, भावलपुर):
> “जब बारिश होती है, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। बीमार को अस्पताल ले जाने के लिए भगवान से दुआ करनी पड़ती है कि रास्ते में कुछ न हो।”
जाहिद अली (महदेवरी):
> “हमारे गांव का कब्रिस्तान दूसरे गांव में है। शव लेकर इस पुल को पार करना पड़ता है। कई बार जनाजे फिसल गए। इससे बड़ी इंसानियत की बेइज्जती और क्या हो सकती है?”

नेता सिर्फ चुनाव में आते हैं
ग्रामीणों ने विधायक और सांसद पर गहरा आक्रोश जताया है। लोगों ने बताया कि विधानसभा विश्वनाथगंज और रानीगंज के जनप्रतिनिधियों ने आज तक इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाया।
अब्दुल मजीद (शेखनपुर):
> “वोट मांगने तो नेता हेलीकॉप्टर से आते हैं, लेकिन काम के समय सब गायब! हमारे बच्चों की पढ़ाई रुकी है, मरीज जान गंवा रहे हैं, और सांसद-विधायक जश्न मना रहे हैं!”
गौतम द्विवेदी (दुबेपट्टी):
> “हमने डीएम, तहसील, ब्लॉक हर जगह आवेदन दिया – लेकिन कोई सुनवाई नहीं। क्या बकुलाही में किसी वीआईपी का बेटा डूबेगा तब सरकार जागेगी?”
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पुल सिर्फ रास्ता नहीं – जीवन की जरूरत है
यह पुल प्रतापगढ़ को प्रयागराज से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है। यही रास्ता राशन, इलाज, शिक्षा, नौकरी, खेती-बाड़ी से लोगों को जोड़ता है। लेकिन हर साल बारिश में यह बह जाता है – और बहा ले जाता है जनता की उम्मीदें।
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जनता की एक ही मांग – बने पक्का पुल!
गांव वालों ने ऐलान किया है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे जोरदार प्रदर्शन, धरना, और सड़क जाम जैसे कदम उठाएंगे।
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“जब तक पुल नहीं, तब तक चैन नहीं”
– ग्राम पंचायतों की संयुक्त घोषणा
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यह खबर न सिर्फ एक पुल की मांग है, बल्कि एक सिस्टम की नाकामी की भी दास्तान है। अब जनता चुप नहीं बैठेगी – जवाब चाहिए, जिम्मेदारी चाहिए और पक्का पुल चाहिए!
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