बकरी चराने के विवाद में दबंगों ने मचाया तांडव, पिता-पुत्री सहित 5 को पीटा, नाबालिग के सिर पर धारदार हथियार से वार, हालत नाजुक
घायलों का लालगंज ट्रॉमा सेंटर में इलाज जारी, मेडिकल कॉलेज रेफर की गई किशोरी, पुलिस पर केस दर्ज न करने का आरोप
प्रतापगढ़। जनपद के लालगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत सरदार का पुरवा पुरवारा गांव सोमवार को उस वक्त दहल उठा जब मामूली बकरी चराने के विवाद ने खूनी रूप ले लिया। गांव के ही दबंगों ने न केवल एक परिवार पर हमला बोल दिया बल्कि नाबालिग बच्ची को भी नहीं बख्शा। लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस दबंगों ने पिता, पत्नी और घर की तीन महिलाओं पर बेरहमी से हमला कर दिया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के तीन दिन पहले भी मारपीट हो चुकी थी, लेकिन पुलिस ने ध्यान नहीं दिया, जिसका परिणाम इस हिंसक हमले के रूप में सामने आया।
पीड़ित नसीम पुत्र जबीर अली ने बताया कि 28 जुलाई की सुबह करीब 10:30 बजे वह अपने खेत में खाद डालने गया था। उसी दौरान गांव के ही मुनाफ समेत दर्जनों लोग मौके पर पहुंच गए और गाली-गलौज करते हुए अचानक हमला बोल दिया। नसीम के अनुसार विरोध करने पर सभी लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस थे, जिन्होंने उसे पीटना शुरू कर दिया। हल्ला-गुहार सुनकर उसकी पत्नी शमशीदा बानो (45), बेटी (14), शहनाज़ बानो (32) और महरून निशा (40) बचाने दौड़ीं, लेकिन दबंगों ने उन पर भी लोहे की रॉड और डंडों से वार करना शुरू कर दिया।
इस हमले में सबसे गंभीर रूप से घायल हुई नाबालिग किशोरी शाज़िया बानो, जिसके सिर पर धारदार हथियार से वार किया गया। खून से लथपथ शाज़िया मौके पर ही गिरकर बेहोश हो गई। स्थानीय लोगों के पहुंचने पर हमलावर भाग निकले, लेकिन जाते-जाते पीड़ित परिवार को जान से मारने की धमकी देकर गए।
परिजन घायलों को तत्काल लालगंज ट्रॉमा सेंटर ले गए, जहां सभी का इलाज चल रहा है। शाज़िया की हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने उसे जिला मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया है।
घटना के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस को सूचना दी और थाने में प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन पीड़ितों का आरोप है कि लालगंज पुलिस मुकदमा दर्ज करने में टालमटोल कर रही है। यहां तक कि गंभीर रूप से घायल नाबालिग बच्ची का भी संज्ञान नहीं लिया गया, जबकि उसका इलाज ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
पीड़ित नसीम ने बताया कि तीन दिन पहले भी इन्हीं आरोपितों ने बकरी चराने को लेकर गाली-गलौज कर मारपीट की थी। लेकिन पुलिस की अनदेखी ने इन दबंगों के हौसले बुलंद कर दिए। अब जब एक नाबालिग लड़की के सिर पर जानलेवा हमला हो चुका है, तब भी पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
ग्रामीणों ने भी पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। सवाल यह है कि आखिर किस दबाव में पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही? क्या अब इंसाफ के लिए किसी को अपनी जान गंवानी होगी?
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और ट्रॉमा सेंटर में भर्ती नाबालिग के हालात देख यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
“आखिर किस दबाव में पुलिस पीड़ित का मुकदमा दर्ज नहीं कर रही?”
घटना की गंभीरता, वीडियो का वायरल होना, नाबालिग लड़की की हालत गंभीर होना, ट्रॉमा सेंटर से मेडिकल कॉलेज रेफर — इन सबके बावजूद एफआईआर न दर्ज होना किसी न किसी दबाव या मिलीभगत की तरफ इशारा करता है। दबंगों का स्थानीय राजनीतिक संरक्षण,
थाना स्तर पर मिलीभगत की आशंका
अपराध को “हल्का” दिखाने की कोशिश लेकिन जब पीड़ित नाबालिग लड़की की जान पर बन आए, तब भी एफआईआर न हो — तो यह साफ संकेत है कि कोई बड़ा दबाव या डर पुलिस पर हावी है।
❓ क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा या दबंगों का राज ही चलता रहेगा?
❓ जब बेटी के सिर में वार हुआ तब भी एफआईआर नहीं, तो और क्या इंतज़ार है?