स्कूल बना राजनीति का मंच! ‘पीडीए पाठशाला’ पर बवाल, विधायक आर.के. वर्मा समेत तीन नामजद — प्रधानाध्यापक सस्पेंड शिक्षा का मंदिर राजनीति का मंच बन गया!

प्रतापगढ़ | संवाददाता


प्रतापगढ़ के फतनपुर क्षेत्र के नरायनपुर कला गांव स्थित एक सरकारी विद्यालय परिसर में बिना अनुमति के चलाया गया समाजवादी पार्टी का ‘पीडीए पाठशाला’ कार्यक्रम अब प्रशासन और शिक्षा विभाग के रडार पर है। विधायक डॉ. आर.के. वर्मा समेत तीन लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई है। साथ ही प्रधानाध्यापक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि शिक्षा विभाग के अन्य जिम्मेदार अफसरों पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

बिना इजाजत चला राजनीतिक शो, बच्चों को बनाया मोहरा

शिक्षा विभाग की जांच में सामने आया है कि 31 जुलाई को समाजवादी पार्टी की ओर से पीडीए पाठशाला के तहत एक प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें विद्यालय परिसर में बच्चों को बुलाया गया, उनसे प्रार्थना करवाई गई, पढ़ाई का नाटक किया गया और फल वितरण किया गया। इसके साथ ही परिसर में राजनीतिक पोस्टर और बैनर भी खुलेआम लगाए गए, जो कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और शिक्षा संहिता दोनों का सीधा उल्लंघन है।

एबीएसए की रिपोर्ट बनी कार्रवाई की नींव

खंड शिक्षा अधिकारी (गौरा) अमित कुमार दुबे की शिकायत पर थाना फतनपुर में विधायक डॉ. आर.के. वर्मा, राहुल कुमार शेर बहादुर, अमरपाल उर्फ रामपाल तथा कुछ अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग, आदेशों की अवहेलना और शिक्षा तंत्र के राजनीतिकरण के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।

सस्पेंशन की गूंज, जवाबदेही की शुरुआत

प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर कला द्वितीय के प्रधानाध्यापक बृजेश सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। वहीं विद्यालय में तैनात दो शिक्षामित्रों को कारण बताओ नोटिस थमाया गया है। हैरानी की बात ये है कि जिस विद्यालय भवन में यह कार्यक्रम हुआ, वह पहले से ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में युग्मित कर दिया गया था और अब उसका कोई शैक्षणिक उपयोग अधिकृत नहीं था।

इतना सब होते हुए भी शिक्षा विभाग की निगरानी विफल रही, जिसके चलते अब खंड शिक्षा अधिकारी अमित दुबे से भी शिथिल पर्यवेक्षण को लेकर जवाब तलब किया गया है।

️ शिक्षा बनाम सियासत: क्या बच्चों का भविष्य ऐसे तय होगा?

इस पूरे घटनाक्रम ने यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या राजनीति अब बच्चों की मासूमियत तक पहुंच गई है? क्या सरकारी विद्यालय अब सियासी प्रयोगशाला बनते जा रहे हैं? प्रशासन सख्त है और संकेत मिल रहे हैं कि आगे और भी बड़ी कार्रवाई संभव है।

जनता में रोष, विपक्ष हमलावर

घटना के बाद इलाके में गंभीर राजनीतिक हलचल है। विपक्ष इसे शिक्षा व्यवस्था का राजनीतिक अपहरण बता रहा है, तो स्थानीय लोग कह रहे हैं – “स्कूल हमारे बच्चों के लिए है, नेताओं की सभा के लिए नहीं!”

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