प्रतापगढ़ जनपद से एक बेहद चौंकाने और मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां पथरी का इलाज कराने पहुंचे एक युवक की कथित तौर पर बिना जानकारी के किडनी निकाल ली गई। इस गंभीर आरोप के बाद अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए अस्पताल संचालक समेत दो डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश पुलिस को दिया है।

यह मामला नगर क्षेत्र स्थित संजीवनी अस्पताल से जुड़ा हुआ है। पीड़ित पन्नालाल विश्वकर्मा के अनुसार, उनके बेटे हिमांशु विश्वकर्मा को लंबे समय से पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। इसी के चलते 2 मई 2024 को वह हिमांशु को इलाज के लिए संजीवनी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉ. एसएस गुप्ता ने जांच के बाद पथरी होने की बात कही। डॉक्टर ने जल्द ऑपरेशन की सलाह दी और भरोसा दिलाया कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है।

आरोप है कि 2 मई को ही डॉ. एसएस गुप्ता और उनके सहयोगी डॉ. अलंकार गुप्ता ने हिमांशु का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि पथरी सफलतापूर्वक निकाल दी गई है। ऑपरेशन के दौरान हिमांशु के पेट में कुल 13 टांके लगाए गए थे। कुछ दिन तक इलाज चलने के बाद हिमांशु को छुट्टी दे दी गई।

हालांकि, 18 मई 2024 को जब हिमांशु की तबीयत दोबारा बिगड़ी और परिजन उसे फिर संजीवनी अस्पताल लेकर पहुंचे, तो डॉक्टरों ने किडनी की जांच कराने की सलाह दी। जब बाहर अल्ट्रासाउंड जांच कराई गई तो रिपोर्ट देखकर परिजन स्तब्ध रह गए। जांच में खुलासा हुआ कि हिमांशु की एक किडनी शरीर से गायब है।

इस रिपोर्ट के बाद परिजनों ने डॉक्टरों से जवाब मांगा, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। पीड़ित पन्नालाल विश्वकर्मा का आरोप है कि उनके बेटे की जानकारी और सहमति के बिना किडनी निकाल ली गई, जो एक गंभीर आपराधिक कृत्य है। इसके बाद उन्होंने पुलिस से शिकायत की, लेकिन कई चक्कर लगाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

न्याय न मिलने पर पीड़ित ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और पूरे मामले को परिवाद के रूप में दर्ज कराया। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर संजीवनी अस्पताल के संचालक समेत डॉ. एसएस गुप्ता और डॉ. अलंकार गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश पुलिस को दिया है।

कोर्ट के इस आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह मामला न सिर्फ चिकित्सा लापरवाही, बल्कि अवैध अंग निकासी जैसे गंभीर अपराध की ओर इशारा करता है। अब देखना होगा कि पुलिस जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और पीड़ित परिवार को कब तक न्याय मिल पाता है।

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