साल 1957 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने ये कहकर लेने से मना कर दिया कि वो मंत्रिमंडल में होते हुए किसी सरकारी सम्मान को नहीं लेंगे. साल 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

मैलाना आज़ाद को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु उन्हें ‘मीर-ए-कारवां’ यानि कारवां के नेता की उपाधि दी थी.

महान भारतीय विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, कवि, पत्रकार, शिक्षाविद, दार्शनिक और भारत के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम मोहीउद्दीन अहमद आज़ाद जिन्हें दुनिया मौलाना आज़ाद के नाम से जानती है ने अपना पूरा जीवन हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए समर्पित कर दिया जिससे जल्द से जल्द देश को आज़ाद कराया जा सके. इस्लामिक शिक्षा के बड़े स्तंभ और रहस्यता से भरे इस महान शख्तियत का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीयता और एकता को कायम रखना था. आज इस महान स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि है. मौलाना 70 साल की उम्र में आज के दिन यानि 22 फरवरी 1958 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.

‘गुलामी अत्यंत बुरा होता है भले ही इसका नाम कितना भी खुबसूरत क्यों न हो’- आज़ाद

मौलाना आज़ाद को खिराज़-ए-अक़ीदत

अली जाकिर

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