लौटेगा फिर से वो मंज़र जब हम दोस्तों को गले लगायेंगे, लौटेगा वो मंज़र जब ख़ुशी से तुम्हारा माथा चूम लेंगे, आज फ़िज़ा ज़हरीली है लेकिन कल खुशनुमा फिर होगी फिर वो मंज़र लौटेगा जब सिर हांथ मिलाने भर से काम नहीं चलेगा पकड़ कर एक दूसरे को गले लगाएंगे और जज्बात में आँसू निकल आएंगे!!
फिर वो मंज़र लौटेगा जब बच्चों को सीने से लगाकर घंटो बाते किया करेंगे, दोस्तों के साथ बैठकर पुरानी यादों को ताज़ा किया करेंगे और पूरी छुट्टी का दिन बस एक दूसरे की खिंचाई करने में निकाल देंगे!!
वो दिन भी लौटेंगे जब क्रिकेट के मैदान में एक बल्ला लिए चौका छक्का मारेंगे, फुल्की खाने के लिए अपनी प्लेट हाँथ में लिए अपनी बारी का इंतेज़ार करेंगे, बाज़ारो की रौनक भी लौटेगी, रेस्टोरेंट और ढाबों की भीड़ भी लौटेगी, बस तुम हिम्मत ना हारना एक दूसरे का साथ ना छोड़ना!
फिर से हम इसी आसमान में पतंग उड़ाएंगे , फिर से सदियों में एक ही प्लेट में 3 दोस्त खाते हुए नज़र आएंगे बस तुम हिम्मत मत हारना, फिर से टैक्सी ऑटो की भीड़ सड़को पर दिखाई देगी, फिर स्टेशनों पर धक्का मुक्की होगी, फिर से हम बैंकों की लाइन में लगे हुए होंगे बस तुम हिम्मत मत हारना!

फिर मेलों में जलेबी की खुशबू आएगी, फिर गुड्डे गुड़ियों वाला खेल बच्चे खेलेंगे, फिर स्कूलों में राष्ट्रगान एक सुर में होगा बस तुम हिम्मत मत हारना!

तुमने हज़ारों दंगे झेले है फिर भी खड़े हुए, तुमने इस देश का बंटवारा होते देखा फिर भी खड़े हुए, तुमने सुनामी देखी फिर भी खड़े हुए, तुमने भूकंप के झटके भी महसूस किए फिर भी खड़े हुए, तुमने जंग लड़ी फिर भी खड़े हुए!!
बस तुम हिम्मत मत हारना!!
(लेखक: जावेद खान)

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