जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के संभल में बवाल के निशान बाकी हैं। हर गली के बाहर 8-9 पुलिसवाले बैठे हैं। कई घरों पर ताला लटका है। मस्जिद के आसपास की दुकानें बंद हैं। मस्जिद के पास सीढ़ियों और छतों पर पत्थर पड़े हैं। डर का ऐसा माहौल है कि लोग तेज़ और सही से बात नहीं कर रहे। किस तरह से एक साजिश के तहत पूरा बवाल रचा गया होगा टीम सुबह 6 बजे सर्वे के लिए आती है और धार्मिक नारा लगाते हुए लोग देखते है सूत्रों की माने तो अलग अलग रस्ते से लोग उनके साथ जुड़ रहे रहे थे जिसके बाद स्थानीय लोग भी इकट्ठा होने लगते हैं उनको लगा इतनी भीड़ मस्जिद को शहीद करने जा रहे है
मामला उस समय भड़का जब प्रशासन और पुलिस की टीमें 24 नवंबर को सुबह 6 बजे जामा मस्जिद के सर्वे करने आई थीं। जिसके बाद विरोध कर रहे लोगो पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद 5 लोग मारे गए। इनमें से 4 लोगों को गोली लगी थी। 20 से ज्यादा पुलिसवाले भी घायल हो गए हैं। पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित 2700 से ज्यादा लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है पुलिस ने 25 लोग गिरफ्तार कर लिया हैं। प्रशासन ने 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था
हिंसा की शुरुआत मस्जिद के वजूखाने में तोड़फोड़ की अफवाह से हुई थी क्यों कि वाजूखाने का पानी नाली में बहता देखा तो लोग मस्जिद के अंदर क्या हो रहा देखना चाहा तो उनको वहां से भगा दिया गया जिससे मामला बढ़ता गया लोग एक जगह इकट्ठा हुए तो पुलिस लाठीचार्ज कर दी पत्थर बाजी शुरू हुई लोगों के मुताबिक, पुलिस पर पत्थर फेंक रही भीड़ में शामिल लोग बाहरी लग रहे थे। इनमें 12 से 18 साल के लड़के भी थे। जो कस्बे के नहीं थे वह कहा से और थे कौन थे ये बात प्रशासन का है पता करे लेकिन सूत्रों माने तो यह सब उनके ही आदमी थी जो ऐसा कर रहे थे
- मस्जिद के बाहर हिंसा कैसे भड़की?
- हमलावर भीड़ में कौन शामिल था?
- मरने वाले कौन थे और उन्हें गोली किसने मारी?
- सांसद जियाउर्रहमान बर्क और उनके पिता की क्या भूमिका है
- सदर विधायक के बेटे सुहैल इकबाल की भूमिका क्या थी?
- मस्जिद के सर्वे के लिए सुबह 6 बजे का वक्त क्यों चुना गया?
- अगर सुबह सर्वे करना था तो स्थानीय लोगो या मस्जिद के सदर के साथ वार्ता की गई?
- जिन लोगों को गोली से मार दिया गया है उनका कसूर क्या था
- सर्वे टीम के साथ बाहरी लोग धार्मिक नारा लगाते हुए क्यों जा रहे थे
- क्या सपा सांसद वहां पर मौजूद थे या उनको सरकार फंसा रही है
इन सवालों के जवाब के लिए मस्जिद के सदर जफर अली, विधायक इकबाल मलिक, उनके बेटे सुहैल इकबाल और आसपास के लोगों ने क्या बात की और उनसे इन सवालों के जवाब जानने के लिए प्रयास किया गया
मस्जिद के बाहर हिंसा कैसे भड़की क्यों बढ़ता गया माहौल
पूरा मामला 19 नवंबर 2024 मंगलवार को संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हुआ। हिंदू पक्ष ने मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए जिला न्यायालय में याचिका लगाई। इस पर अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया।जब की दूसरे पक्ष को किसी भी तरह की सुनवाई नहीं हुई एक पक्ष को सुन तत्काल सर्वे का आदेश दिया गया
कोर्ट से आदेश मिलते ही एडवोकेट कमिश्नर रमेश चंद राघव सर्वे कराने पहुंचे। उनके साथ DM राजेंद्र पेंसिया, SP केके बिश्नोई और याचिका दायर करने वाले मौजूद थे। सभी शाम 5.30 बजे मस्जिद पहुंचे। सर्वे करीब दो घंटे चला। इसके बाद टीम चली गई। किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ न उनका विरोध हुआ जब की सर्वे के लिए आए याचिका करने वाले भी सभी वहां मौजूद थे सर्वे कर रहे थे ऐसे में उनका न विरोध हुआ न ही उनके साथ किसी तरह की बातचीत हुई वो और अपना काम किए और चले गए
24 नवंबर को टीम सुबह 6 बजे दोबारा सर्वे करने मस्जिद पहुंचती है टीम वही थी लेकिन उनके साथ दो दर्जन से अधिक लोग थे एडवोकेट कमिश्नर, DM, SP के साथ RAF, PAC और उत्तर प्रदेश पुलिस की 8 गाड़ियां थीं। इस के अलावा और भी लोग थे जो धार्मिक नारा लगाते हुए मस्जिद में जा रहे थे लोग सुबह फजर की नमाज अदा करके मस्जिद से बाहर निकले। आसपास इतनी पुलिस देख बाहरी लोगों द्वारा धार्मिक नारा लगाते देख और दूसरी बार सर्वे की बात पता चलते ही उन्हें शक हुआ जानने की कोशिश की लेकिन सर्वे टीम और उनके साथ आए हुए लोग सही जवाब नहीं दे रहे थे जिससे शक और बढ़ गया कि बाबरी मस्जिद की तरह हमारी मस्जिद को शहीद करने आए धीरे-धीरे शाही जामा मस्जिद के बाहर लोग जुटने लगे।
सुबह 7 बजे के विष्णु शंकर जैन अपने समर्थकों के साथ धार्मिक नारा लगाते मस्जिद पहुंचे थे ये लोग पहले कोतवाली गए थे। फिर नारे लगाते हुए मस्जिद पहुंचे। वे कोतवाली से सीधे मस्जिद नहीं आए थे। सरथल चौकी, हल्लू सराय और शंकर कॉलेज होते हुए आए। रास्ते में उनके समर्थक जुड़ते गए जो धार्मिक नारा लगाते हुए आगे आ रहे थे उन सब की नारेबाजी सुन कर लोग आने लगे नारेबाजी सुनकर भीड़ जमा हो गई सब से बड़ा हिंसा करने वाला करने वाला सब से बड़ा उपद्रवी कौन हुआ?
नारेबाजी का एक वीडियो भी आप सब के सामने आया था जिसमें आप सब साफ देखे किस तरह से एक भीड़ धार्मिक नारा लगाते हुए आगे बढ़ रही लेकिन वो सरकार के आदमी थे उनके खिलाफ कुछ नहीं हुआ हालांकि DM राजेंद्र पेंसिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सर्वे के बाद हिंदू पक्ष मस्जिद से लौट रहा था, ये नारेबाजी उस वक्त हुई थी। लेकिन धार्मिक नारा लगाना क्या आप को सही लगता है
जामा मस्जिद के सदर जफर अली के अनुसार। घटना वाले दिन मस्जिद के अंदर बने वजूखाने को लेकर बहस हुई थी उपजिलाधिकारी वंदना मिश्रा का कहना था कि वजूखाने की माप लेने के लिए इसका पानी निकाला जाए। जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई डंडे की मदद से गहराई की जांच करवाना चाहते थे। उपजिलाधिकारी अपनी बात पर अड़ गईं।और कहने लगी वजूखाने का पानी निकाला जाएगा किसी भी सूरत में बाद में वजूखाने का पानी खाली कराया गया। जिसके बाद वजूखाने का पानी नाली में बह रहा था वजूखाने का पानी बहता देख बाहर खड़े लोगों को लगा कि मस्जिद में तोड़फोड़ की जा रही है।ये बात फैल गई जिसके बाद मस्जिद के बाहर मोहल्ले के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए जफर अली ने कहा मैंने मस्जिद के बाहर खड़े लोगों से अपील की थी कि वे शांत हो जाएं और घर लौट जाएं। मस्जिद के स्पीकर से भी अपील की गई, लेकिन भीड़ आक्रामक हो चुकी थी मस्जिद में तोड़फोड़ की अफवाह कैसे फैली, इसकी अभी जांच चल रही है।
जिलाधिकारी ने कहा कि सर्वे के आदेश की कॉपी पर जफर अली ने हस्ताक्षर किया हैं। जफर अली ने पुलिस को फायरिंग करते हुए देखने का स्टेटमेंट दिया वजूखाने की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होनी थी, इसलिए उसे खाली कराया गया। वैसे भी उसका पानी हर शुक्रवार को बदला जाता है
हमलावर भीड़ में कौन शामिल थे?उनकी पहचान हुई?
एक युवक के अनुसार सुबह सब को पता चला कि सर्वे करने वाली टीम आज सुबह सुबह फिर से दुबारा आ गई है जिसके बाद मस्जिद के बाहर भीड़ जमा हो गई। भीड़ में बाहरी लोग थे हिंसा शुरू हुई, तो वह भाग कर दूसरे के घर में अपनी जान बचाया उसके अनुसार कुछ लोग अलग अलग छत पर चढ़ गए और पत्थरबाजी करने लगे। वे हमारे इलाके के नहीं लग रहे थे पहचान में नहीं आ रहे थे जिस्म बहुत लोग ऐसे थे जिनकी उम्र भी कम थी पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंक रहे थे। पुलिस की कोई गलती नहीं थी। वे तो कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे थे यह गलत हुआ कि पुलिस ने गोली चला दी और लड़कों की मौत हो गई ऐसा नहीं होना था ये सब ऐसे लग रहा था जैसे पूरा मामला जानबूझ कर कराया गया
मरने वाले कौन थे और उन्हें गोली किसने मारी?गोली कहा लगी पोस्टमार्टम में क्या आया
हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत हुई है। तीन लोगों की मौत 24 नवंबर और दो लोगों की मौत 25 नवंबर को हुईं। सूत्रों को माने तो पुलिस वालों ने सीधा उनके सीने में गोली मारी जिससे मौत हुई इसमें में बिलाल उम्र 23 वर्ष, नईम गाजी उम्र 30 वर्ष,कैफ उम्र 18 वर्ष,आयाम 16 वर्ष, नोमान 50 वर्ष की मौत हुई है आरोप लग रहे थे कि पुलिस की फायरिंग में इन लोगों की जान गई है।
मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बताया पर बताया है कि चार लोगों की मौतें देसी तमंचों से चली गोली से हुई है।एक लोगो के परिवार वाले पोस्टमार्टम नही करवाएं जिससे मौत का कारण नहीं बता सकते
सांसद जियाउर्रहमान बर्क और उनके पिता की क्या भूमिका है?
सरथल पुलिस चौकी के प्रभारी दीपक राठी ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर विधायक इकबाल मलिक के बेटे सुहैल इकबाल समेत 800 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। उन पर भीड़ को भड़काने का आरोप है। संभल SP कृष्ण कुमार के मुताबिक, सब इंस्पेक्टर दीपक राठी पथराव में घायल हो गए थे।
सदर विधायक के बेटे सुहैल इकबाल की भूमिका क्या थी?
पुलिस अधीक्षक सम्भल के अनुसार इकबाल मलिक से उनके घर पर मुलाकात की। मुलाकात कर इकबाल मलिक से पूछा आपके बेटे के खिलाफ FIR दर्ज हुई है। वो 24 नवंबर को मस्जिद के बाहर क्या कर रहे थे?तो मालिक ने कहा मेरा बेटा मस्जिद गया था मस्जिद कमेटी के सदस्य के घर पर था जिसके बाद वो लोग भीड़ और पुलिस को देख वही रोक दिया था
मस्जिद के सर्वे के लिए सुबह 6 बजे का वक्त क्यों चुना गया?ऐसे में प्रशासन की तैयारी अधूरी क्यों थी जो अपने आप में एक बड़ा सवाल है
23 नवंबर की रात 9 बजे से पुलिस की गस्त अचानक से तेज हो गई थी। लोगों को लगा रहा था कि मस्जिद विवाद पर 29 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई है, इसलिए सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। पुलिस मुस्तहद है
सदर विधायक इकबाल मलिक के अनुसार रात 11 बजे एसपी का फोन आया और उन्होंने कहा कि कल (रविवार) सर्वे होना है। मेरी बात जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी से हो चुकी है। सुबह 7 बजे तक पुलिस फोर्स आ जाएगी। आप सबसे शांति बनाए रखने की अपील करे बाकी सब से बात ही है आप सब मिल कर लोगो से शांति बनाए रखे रहने को कहना एक बार सर्वे हो जाने के बाद दुबारा क्यों पुलिस ने बताया कि मंगलवार को सर्वे शाम को हुआ था जिसकी वजह से अंधेरे में फोटो और वीडियो सही से नहीं आ पाए है इसी वजह से सर्वे टीम दोबारा से सर्वे करने आ रही है
इस मामले में अलग अलग कुल 6 एफआईआर हुई है
1- एफआईआर, दरोगा दीपक राठी ने कराई है, इसमें सपा सांसद और विधायक के बेटे का नाम है, 800 अज्ञात आरोपी भी बनाए गए हैं, जिन पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है
2- एफआईआर, दरोगा शाह फैसल ने कराई है, इसमें कहा कि नखास इलाके में भीड़ ने बाइक में आग लगा दी, इसमें कुछ नामजद और बाकी अज्ञात हैं
3-एफआईआर,सीओ संभल अनूप चौधरी ने दर्ज कराई है, इसमें 800 अज्ञात हैं, आरोप है कि बवाल के दौरान गोलियां चलाईं
4-एफआईआर,पुलिसकर्मी जगदीश कुमार ने दर्ज कराई है, इसमें मैगजीन और टियर गैस लूटने का आरोप है
5- एफआईआर SP के PRO ने 150 अज्ञात पर दर्ज कराई, आरोप है कि पैर में गोली मारी
6-एफआईआर,एसडीएम रमेश बाबू ने 800 अज्ञात के खिलाफ कराई है, उन पर हमला किया गया
पुलिस पर घर में घुसकर तोड़फोड़ का आरोप एक महिला ने लगाए है?
हिंदूपुर खेड़ा में रहने वाली बेगम नाम की एक महिला को पुलिस ने 24 नवंबर को शाम गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद रविवार को दोपहर 2.30 बजे पुलिस की गाड़ी पर पथराव हो गया था। उनकी बहन शाहीन ने बताया कि पुलिस उसकी बहन के घर घुस गई। उसे और उसके बेटे को पहले तो बहुत मारा पीटा। जब देखा इस के घर में सीसीटीवी लगा है तो CCTV फुटेज ले गए। टीवी-फ्रिज सब तोड़ दिया घर में और भी रखे कीमती सामान सब तोड़ दिए जिससे लगभग 8 से 9 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
इतना ही नहीं उनके ही पड़ोसी रुकैया और 12 साल की एक बच्ची को भी पुलिस ले गई है घर में पहले उसको मारी समान तोड़ दिए उसके बाद थाने गई थी, की कहा ले गई जानकारी कोई पुलिसवाला नहीं दे रहा। और कोई FIR भी नहीं दी जा रही।
ऐसे में राजनीतिक पार्टीया भी सरकार पर एक पक्षी कार्यवाही पर सवाल खड़ा कर रही इस तरह के सर्वे पर भी सवाल खड़ा कर रहे कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, आजाद समाज पार्टी के चंदशेखर,आम आदमी के संजय सिंह सहित aimim के बड़े नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस तरह की कारवाही और फर्जी मुकदमा बाजी की कड़ी निंदा की है