मानवता की मिसाल: अदील हमज़ा साहिल हर मुश्किल घड़ी में बने सहारा

प्रयागराज (इलाहाबाद)।कहते हैं कुछ लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी जिंदगी का हर पल दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं। अदील हमज़ा साहिल उन्हीं में से एक हैं। चाहे वक्त कैसा भी रहा हो—कोरोना महामारी का कठिन दौर, कुंभ मेले में बढ़ती मुसीबतें या आज की बाढ़ त्रासदी—हर बार, हर जगह सबसे आगे खड़े दिखे तो वो थे अदील हमज़ा साहिल।

कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में कैद थे और सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, तब अदील हमज़ा ने बेखौफ जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुंचाई। न मास्क की कमी रोकी, न संक्रमण का डर, बस एक ही सोच थी—जहां दर्द है, वहां मदद पहुंचानी है।

कुंभ मेले के दौरान, जब लाखों की भीड़ और अव्यवस्था के बीच परेशान लोग सहारे की तलाश में थे, तब भी अदील हमज़ा ने अपनी टीम के साथ मैदान संभाला। और आज, जब इलाहाबाद बाढ़ की चपेट में है, तब एक बार फिर वह अपने कंधों पर राहत सामग्री के बोरे उठाकर तंग गलियों और डूबे मोहल्लों तक पहुंच रहे हैं।

उनके लिए ना जाति मायने रखती है, ना धर्म, ना ही राजनीतिक लाभ। उनका मकसद साफ है—इंसानियत की सेवा। यही वजह है कि लोग उन्हें “जिंदा मिसाल” कहते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अदील हमज़ा साहिल न केवल मददगार हैं, बल्कि आने वाले समय में क्षेत्र की सशक्त आवाज भी बन सकते हैं। कई लोग तो उन्हें भविष्य का जनप्रतिनिधि मानकर दुआएं दे रहे हैं।

बुजुर्ग उस्मान ने कहा अल्लाह से दुआ है कि उनकी मेहनत, कुर्बानी और जज़्बे को कबूल करे, उन्हें सेहत और लंबी उम्र दे, और दुनिया-आखिरत में बेपनाह इनाम अता करे। अदील हमज़ा साहिल ने साबित कर दिया है कि इंसानियत से बढ़कर कोई पहचान नहीं।

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