वो काजू बादाम खाकर कहता हैं
कोई भूखा ना रहें
वो कहता हैं ।

वो अपने घरों में सुख सुविधाओं आराम से बैठ कर
कहता हैं कोई सड़क पे ना घूमें
वो कहता हैं ।

वो विदेशों से आने वालों को रोक ना पाया
और हम साधारण से लोगों को कहता हैं घर से बाहर ना निकलो
वो कहता हैं ।

वो विदेशों में फँसें रोगियों को पूरे संसाधन की व्यवस्था के साथ घर में ले आता हैं
यहाँ विद्यार्थी, मज़दूर और अन्य को अपने पास के घर/गाँव जाने के लिए कोई सुविधा नहीं
वो कहता हैं ।

वो महामारी से बिगड़े हालात तो दिखा सकता हैं
मगर भुखमरी से बिगड़ने वाले हालात क्यूँ नहीं दिखता
वो कहता हैं ।

वो पत्रों और काग़ज़ में पूरी व्यवस्था कर चुका हैं
यहाँ रात को क्या खाना बनाना हैं इस बारे में सोच पूरा परिवार दुःखी हैं
वो कहता हैं ।

वो आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रंखला बनाए रखने के साथ ही कमजोर एवं वंचित वर्ग को नकद राशि व आवश्यक राशि उपलब्ध करने बात करता हैं
मगर लोगों को चिंता ये हैं कब मिलेगा और कैसे मिलेगा
वो कहता हैं ।

उसको अच्छें से मालूम हैं कि जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग से कहता हैं … हाल कैसा हैं
वो कहता हैं ।

वो कहता हैं उसे पहले से पता था कोरोना महामारी कितनी बड़ी समस्या होने वाली हैं
फिर लॉक्डाउन के पहले व्यवस्थित और सुरक्षित होने का समय क्यूँ नहीं देता?
वो कहता हैं ।

वो कोई और नहीं हमारा प्रशासन ही हैं

रायपुर से इस्तेखर अहमद की रिपोर्ट

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