अचानक लाॅकडाउन, मुल्क का हर शहरी किसी न किसी ऐतबार से परेशान और ख़दशात का शिकार, एक बड़ी आबादी फाक़ा-कशी पर मजबूर, दाने दाने को तरसते लोग बल्कि अब तो खाने की चीज़े छीनने लगे, और अब वह वक़्त दूर नहीं जब भूक के मारे चोरी डकैती करने लगें गे, मरने की ख़बरैं तो आने लगी हैं, ऐसा दर्द दिया कि उसकी टीस में न अब 370 याद रहा, ना उस से कशमीर में पैदा हुए हालात, ना देहली फसाद के मज़लूमों की याद आती है, ना फसाद में लुटे पिटे लोगों का तज़करह ना ज़ालिमों के अंजाम की फिक्र, ना CAA का ख्याल है ना NPR और ना NRC का।

बस हर तरफ़ एक ही सदा है इंसानों को भूखा मरने से बचाओ, एक ही नारा है एहतियात एहतियात और मदद मदद।

(लेखक: तारिक़ अय्यूबी नदवी)

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