यूपी में 2022 का इंतजार, ब्राह्मण कार्ड तैयार! !!!!
ब्राह्मण वोटरों के सहारे 2007 में मायावती ने हासिल की सत्ता दरअसल, यूपी में ब्राह्मण वोटरों के सदुपयोग की सोशल इंजीनियरिंग के जरिए बीएसपी प्रमुख मायावती ने साल 2007 में ब्राह्मणों और दलितों का ऐसा गठजोड़ बनाया कि सीधे सत्ता तक पहुंच गईं.उस समय नारा भी दिया जाता था – ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा…आज मायावती का जन्मदिन है. और ठीक इसी मौके पर फिर एक बार उनके सोशल इंजीनियरिंग की सुगबुगाहट साफ सुनी जा सकती है.
दरअसल, यूपी में ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 9-10 फीसदी है और 2007 बीएसपी की जीत में ब्राह्मणों की अहम भूमिका रही. तब 56 उम्मीदवार में से 41 विधायक चुने गए थे. वहीं 2012 में एसपी सरकार में 21 ब्राह्मण विधायक चुने गए और 2017 में बीजेपी की टिकट पर 58 ब्राह्मण चुनाव जीते.
इसके बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से हर जिले में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने का एलान किया तो परशुराम की राजनीति जोर पकड़ने लगी. बीच में कुछ दिनों तक भले इसकी चर्चा नहीं हुई हो लेकिन ब्राह्मण कार्ड की वापसी से साफ है कि ये मामला 2022 के चुनाव तक जोर-शोर से उठता रहेगा.