यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। फरवरी में अधिसूचना जारी होने के आसार है। संभावना है कि मार्च में चुनाव होंगे। इस बीच पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता के पालन में डिफॉल्टर रहे लोगों को इस बार ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी का चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाए।

यूपी निर्वाचन आयोग ने ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार करने के लिए प्रशासन से कहा है। इसके बाद जिले स्तर पर अधिकारी इस काम में जुट गए हैं। लखनऊ के आठ ब्लॉकों की 495 ग्राम पंचायतों में इसकी सूची तैयार कराई जा रही है। 2015 का पंचायत चुनाव लड़े ऐसे लोगाें को चिन्हि्त किया जा रहा है जिन्होंने कई बार नोटिस के बाद भी चुनावी खर्च का हिसाब नहीं दिया या सरकारी फंड का दुरुपयोग किया। 2015 का पंचायत चुनाव लड़ने वाले पचास फीसदी से अधिक प्रत्याशियों ने लगातार नोटिस के बाद भी अपने चुनावी खर्चे का ब्योरा नहीं दिया है। इसमें कई जीत हासिल कर चुके पंचायत प्रतिनिधि भी हैं। पंचायत चुनाव में भी चुनावी खर्च की सीमा तय होती है। इसका पूरा हिसाब चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद छह माह की अवधि में देना जरूरी होता है। एडीओ पंचायत एसके सिंह ने बताया कि हम अभी लिस्ट बना रहे हैं, बाकी अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है, इसका फैैसला राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर से होगा।

जानिए कब तक हो सकते हैं चुनाव :

राज्य सरकार मार्च में पंचायत चुनाव कराना चाहती है। इसके विपरीत राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को चुनाव की तैयारी के लिए अभी और वक्त चाहिए। मतदाता सूची में संशोधन जैसे बड़े काम को देखते हुए मार्च में चुनाव की संभावना को एसईसी ने अव्यावहारिक करार दिया है। एसईसी को लगता है कि सरकार को अपनी ओर से तैयारी पूरी करने में भी अधिक समय लग सकता है। हालांकि सरकार ने कोई आधिकारिक समयसीमा जारी नहीं की है, लेकिन यह संकेत दिया है कि वह बोर्ड परीक्षाओं से पहले मार्च के अंत तक पंचायत चुनाव पूरा कराना चाहती है। पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि आयोग मध्य मार्च तक मतदान शुरू करने के लिए मध्य फरवरी के आसपास अधिसूचना जारी कर सकता है।

हालांकि सूत्रों का दावा अलग ही है। उनका कहना है कि एसईसी ने सरकार से कह दिया है कि मतदाता सूची के संशोधन को पूरा करने के लिए और समय की जरूरत है। ऐसे में सरकार की योजना के अनुसार चुनाव कराना संभव नहीं होगा। सरकार अपने लिए समयसीमा तय करने और उसके अनुसार परिसीमन, आरक्षण आदि से संबंधित कार्यों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन मतदाता सूची में संशोधन के लिए समय की जरूरत होगी। आयोग इस समय पूरे राज्य में मतदाता सूची संशोधन को अंतिम रूप देने में लगा है। जबकि तीन जिलों मुरादाबाद, शामली और गोंडा में ग्राम सभाओं और वार्डों का परिसीमन हो रहा है। इन तीन जिलों में पिछला चुनाव 2010 के आंकड़ों के आधार पर हुआ था। 2015 में किए गए परिसीमन को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका था।

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