सभी कैब कंपनियों को पहली प्राथमिकता के साथ लोगों की शिकायतों का उत्तर देने के लिए कहा गया है. कंपनियों को कहा गया है कि वे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं. सरकार ने नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन से मिले आंकड़ों का हवाला दिया।


ओला और उबर ऐप बेस्ड कैब कंपनियों की सर्विसेज यूज करने वाले लोगों की परेशानियां अब केंद्र सरकार के नोटिस में आ चुकी हैं. लोग इन कंपनियों की सर्विसेज को लेकर सबसे ज्यादा शिकायत राइड कैंसिल होने की करते हैं. इसके अलावा ड्राइवर के ऑनलाइन पेमेंट से मना करने और कैश की डिमांड करने, एक ही रूट के लिए अलग-अलग किराया वसूल करने जैसी दिक्कतें भी लोगों को होती हैं।

केंद्र सरकार ने लोगों की इन दिक्कतों को लेकर कैब कंपनियों को फटकार लगाई है।
केंद्र सरकार ने इसे लेकर मंगलवार को ओला, उबर, रैपिडो मेरू कैब्स और जुगनू को एक निर्देश जारी किया. इन कंपनियों को नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन का कंवर्जेंस पार्टनर बनने के लिए कहा गया है, ताकि बेहतर तरीके से लोगों की शिकायतों का निवारण किया जा सके सरकार का यह निर्देश तब आया है, जब उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस संबंध में एक अहम बैठक की. बैठक में राइड कैंसिलेशन पॉलिसी समेत अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज की बढ़ती शिकायतों पर चर्चा हुई।


एक बयान में बताया गया कि सभी कैब कंपनियों को पहली प्राथमिकता के साथ लोगों की शिकायतों का उत्तर देने के लिए कहा गया है. कंपनियों को कहा गया है कि वे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं. सरकार ने नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन से मिले आंकड़ों का हवाला दिया. आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2021 से मई 2022 के दौरान जो शिकायतें मिली हैं, उनमें 56 फीसदी खराब सर्विस को लेकर हैं. सरकार ने कस्टमर सपोर्ट से उचित रिस्पॉन्स नहीं मिलने का भी नोटिस लिया।


नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के पास लोगों ने कैब कंपनियों की जो शिकायतें की हैं, उनमें ड्राइवर के द्वारा बार-बार राइड कैंसिल करना, ऑनलाइन पेमेंट लेने से इनकार करना और कैश की डिमांड करना, जिस रूट पर पहले कम किराया देकर राइड सर्विस ली गई है उसी के लिए बाद में ज्यादा पैसे चार्ज करना, बिना यात्री से सहमति लिए इंश्योरेंस जैसी ऐड-ऑन सर्विस देकर उसका चार्ज वसूल करना, ड्राइवर का अनप्रोफेशनल बर्ताव, एसी का पैसा लेने के बाद भी राइड के समय चलाने से मना करना, कस्टमर सपोर्ट का एक्सेस नहीं होना आदि प्रमुख हैं.

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