सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। ताकत के गलत इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती।
शीर्ष अदालत ने कहाकि अगर लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि संविधान तथा आपराधिक कानूनों के अनुसार आरोपियों और दोषियों के भी कुछ अधिकार होते हैं। फैसले में कहा गया कि महिलाएं और बच्चे रातभर सड़क पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों को ढहाने के संबंध में कुछ दिशानिर्देश भी तय किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र करवाई के खिलाफ अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं
- यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए
- बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है
- बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं
- मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा
- नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद है
- तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी
- कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे
- नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा
- प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा/ इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है, और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र उत्तर क्यों है।
- आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा
- आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे
- विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए
- सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
- सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए
शीर्ष अदालत ने कहाकि अगर लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि संविधान तथा आपराधिक कानूनों के अनुसार आरोपियों और दोषियों के भी कुछ अधिकार होते हैं। फैसले में कहा गया कि महिलाएं और बच्चे रातभर सड़क पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों को ढहाने के संबंध में कुछ दिशानिर्देश भी तय किए हैं।
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के जज पढ़ रहे हैं फैसला
डीएम एक महीने में नोडल अधिकारी नियुक्त करें-SC
सभी राज्यों के मुख्य सचिव को आदेश भेजा जाए-SC
स्थानीय नगर निगम के मुताबिक नोटिस हो-SC
बुलडोजर एक्शन पर नोटिस डाक से भेजा जाए-SC
गलत कार्रवाई पर अधिकारियों को भुगतान करना होगा-SC
अपराध की सजा देना कोर्ट का काम- SC
आम आदमी का घर वर्षों की मेहनत का नतीजा-SC
सिर पर छत होना भी जीने का अधिकार- SC
अवैध निर्माण को जुर्माना लगाकर नियमित किया जा सकता है-SC
आरोपी के अपराध की सजा पूरे परिवार को नहीं- SC
एक की गलती,तो सबको मकान से वंचित नहीं कर सकते-SC
आरोपी होने पर घर नहीं गिरा सकते- SC
नोटिस में बताया जाए कौन सा हिस्सा अवैध है- SC
अनुच्छेद 142 के तहत हमारा निर्देश है- SC
नोटिस में बताया जाए कौन सा हिस्सा अवैध है- SC
अवैध निर्माण तोड़ने की वीडियोग्राफी हो- SC
नोटिस की जानकारी डीएम को दिया जाए- SC
3 महीने में पोर्टल बनाकर सभी को नोटिस साझा करें-SC