उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अब कुल आठ जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने पर अंतिम सुनवाई करेगा। यह जातियां हैं-बागबान, गोरिया, महापात्र ब्राम्हण, रूहेला, मुस्लिम भांट, पंवरिया-पमरिया, सिख लवाणा और उनाई साहू।

आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, पहले इनमें से सिर्फ तीन-चार जातियों की ही अंतिम सुनवाई के लिए निर्णय लिया गया था। मगर आयोग ने पिछले दिनों इस बारे में आए प्रतिवेदनों का दोबारा अध्ययन करवाया और उसके बाद इन आठ जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने के प्रतिवेदनों पर अंतिम सुनवाई का फैसला लिया गया।

आयोग में इन जातियों के प्रतिवेदन काफी लम्बे अरर्से से लम्बित चल रहे हैं। आयोग द्वारा इन जातियों पर अंतिम सुनवाई अगले महीने करने की तैयारी है। इससे पहले सपा-बसपा की सरकारों में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग कुल 13 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने के प्रतिवेदनों पर सुनवाई की गई थी।

इनमें से भुर्तिया जाति को ओबीसी सूची में पहले से शामिल अहीर, यादव, ग्वाला के साथ जोड़ा गया था। इसके अलावा बोट जाति का प्रतिवेदन अब भी प्रदेश सरकार के पास लंबित है। आयोग बोट जाति को भी ओबीसी में शामिल करने पर अंतिम सुनवाई करके संस्तुति सरकार को भेज चुका है।

बाकी भोटिया, दोसर वैश्य, खंगार, अग्रहरि वैश्य, कमलापुरी वैश्य, ओड़ क्षत्रिय राजपूत, अयोध्यावासी वैश्य, केसरवानी वैश्य, बलहा, उमर बनिया, महार वैश्य, हिन्दू भांट भट्ट आदि जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने पर पहले आयोग अंतिम सुनवाई कर अपनी संस्तुति तत्कालीन सरकारों को भेज चुके हैं।

मगर पिछली सरकारों ने इन जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने पर स्वीकृति नहीं दी। अब आयोग द्वारा 15 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने के बारे में सर्वे करवाया जा रहा है। जिन 11 जातियों को पिछली सरकारों के कार्यकाल में ओबीसी सूची में शामिल किए जाने की आयोग की संस्तुति पर स्वीकृति नहीं मिली, उनके बादे में आयोग के अध्यक्ष यशवंत सैनी का कहना है कि अभी आयोग में अध्ययन करवाया जा रहा है। इस अध्ययन में जो भी निष्कर्ष निकलेगा उस पर निर्णय लिया जाएगा।

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