पिता को पता ही नहीं, अबू धाबी में बेटी को फांसी

दिल्ली: अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में दोषी करार भारतीय महिला को बीते 15 फरवरी को ही अबू धाबी में फांसी दे दी गई थी। यह जानकारी युवती के पिता की याचिका पर सोमवार को केंद्र की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट को बताई गई।तब पिता को हुई जानकारी

घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने इसे बेहद चिंताजनक बताया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ को बताया कि इस मामले का पटाक्षेप हो गया है। उसे 15 फरवरी को फांसी दे दी गई। उसका अंतिम संस्कार पांच मार्च को होगा। सरकार की ओर से यह जानकारी 33 वर्षीय महिला के पिता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई।

  केंद्रकी तरफ से  पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि दूतावास के अधिकारी व याचिकाकर्ता संपर्क में हैं। परिवार के सदस्यों के बेटी की जनाजे में शामिल होने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंनेआगे और कहा कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की शहजादी को उसके सजा में कमी कराई जाए उसे इस मामले से बचाया जय लेकिन हमने पीठ में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए वहां एक कानूनी फर्म को नियुक्त किया था, लेकिन वहां के कानून शिशु की हत्या के मामले में बहुत ही कठोर है।जिसकी वजह से वह दोषी करार हुई और वहां सजाए मौत हो गई

आप को बता दे उत्तर प्रदेश के बांदा निवासी शब्बीर खान ने याचिका में कहा कि उनकी बेटी शहजादी 33 वर्ष की स्थिति को लेकर बहुत परेशान है। उसकी हालत खैरियत जानने के लिए विदेश मंत्रालय को कई बार आवेदन दिया लेकिन सारी कोशिशें बेकार गईं। शहजादी खान को 10 फरवरी 2023 को अबू धाबी पुलिस को सौंप दिया गया था।

उसे 31 जुलाई 2023 को मौत की सजा सुनाई गई। उसे अल वथबा जेल में रखा गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि शहजादी पर अपराध स्वीकार करने के लिए दबाव डाला गया, जिसके कारण उसे मौत की सजा मिली। याचिका के मुताबिक शहजादी वैध वीजा के साथ दिसंबर 2021 में अबू धाबी गई थी।तब से वह वहीं थी उसके ऊपर आरोप था कि वह अपने कफील के मासूम बेटे की हत्या की थी जिसके बाद उसे पुलिस को दे दिया गया बाद में उसको न्यायालय ने दोषी ठहराया और उसे मौत की सजा सुनाई थी

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