?प्रयागराज में निजी अस्पताल ने कर दी हद, पैसे न देने पर बिना पेट टांके लगाए बच्ची को बाहर निकाला, मौत

Prayagraj कौशाम्बी की बच्ची खुशी मिश्रा की मौत का मामला यूनाइटेड मेडिसिटी को बचाने में जुटा प्रशासन

प्रयागराज का पुलिस प्रशासन यूनाइटेड वालों को बचा रहा है
हाल ही में इस अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की मान्यता मिली है

गरीब की बच्ची का ऑपरेशन कर अस्पताल से निकाला था

अस्पताल के गेट पर बच्ची की मौत हो गई थी
गुलाटी को बचाने में प्रशासन ने ताकत झोंकी
गुलाटी के रसूख के बूते सबने छुप्पी साधी
गुलाटी पर अब तक कोई एफआईआर नहीं

पुलिस पर तहरीर बदलवाने का भी आरोप है
गरीब की बच्ची मर गई,प्रशासन गुलाटी के साथपैसे कम पड़े तो बच्ची को अस्पताल से निकाला था।

अमानवीयता की हद हो गई। जिन डाक्टरों को भगवान मान कर पूजा जाता है उनकी हरकत देख लोगों का सिर शरम से झुक गया। जिसने भी इस घटना को सुना सिर्फ एक ही वाक्य कहा, हद हो गई है। यूपी के प्रयागराज जिले में शनिवार को एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है, जहां प्राइवेट हॉस्पिटल का एक अमानवीयता देखने को मिला है। यहां इलाज के लिए पूरी रकम दे पाने में परिवार ने असमर्थता जाहिर की, जिसके बाद 3 साल की बच्ची ख़ुशी को ऑपरेशन टेबल से बिना पेट में टांका लगाए  ही बाहर कर दिया गया। पैसों के बिना इलाज के अभाव में बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। मामला सामने आने के जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने मामले की जांच के आदेश दिए है।

दरअसल, प्रयागराज के करेली इलाके के रहने वाले ब्रह्मदीन मिश्रा की 3 साल की बेटी ख़ुशी को पेट में बीमारी थी। मां-बाप ने इलाज के लिए प्रयागराज के धूमनगंज के रावतपुर एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया और फिर दोबारा पेट का ऑपरेशन किया गया। बच्ची के पिता के मुताबिक इस ऑपरेशन का डेढ़ लाख रुपए ले लेने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने पांच लाख की डिमांड की। जब रुपए नहीं दे पाए तो बच्ची सहित हॉस्पिटल प्रशासन ने परिवार को बाहर भेज दिया और कहा अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा।

आयोग ने घरवालों को उचित मुआवजा देने का दिया निर्देश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी इस मामले पर सख्‍ती दिखाई है। आयोग ने डीएम को पत्र लिखकर 24 घंटे के भीतर पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने डीएम को पूरे मामले की जांच कराने के साथ अस्‍पताल के डॉक्‍टरों और कर्मचारियों के खिलाफ उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही बच्‍ची के परिवारवालों को उचित मुआवजा देने के लिए भी कहा गया है। आयोग ने 24 घंटे के भीतर डीएम से इस मामले में कार्रवाई से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सौंपने का कहा है।

पांच लाख की डिमांड, नहीं पूरी कर पाए तो…

गौरतलब है कि करेली के रहने वाले ब्रह्मदीन मिश्रा की तीन साल की बेटी को पेट में दिक्‍कत थी। घरवालों ने इलाज के लिए बच्‍ची को रावतपुर एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद एक और ऑपरेशन हुआ। बच्ची के पिता के मुताबिक, इस ऑपरेशन का डेढ़ लाख रुपये ले लेने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने पांच लाख की डिमांड की। जब पैसे नहीं दे पाए तो हॉस्पिटल प्रशासन ने बच्ची सहित परिवार को बाहर भेज दिया और कहा क‍ि अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा।

बच्‍ची की हालत देख दूसरों अस्‍पतालों ने इनकार कर दिया

जानकारी के मुताबिक, घरवाले मासूम को इस हालत में लेकर कई अस्‍पताल गए लेकिन बच्‍ची की गंभीर दशा देखकर सभी ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया। इस दौरान उचित उपचार न मिलने पर बच्‍ची की मौत हो गई। पिता का आरोप है कि यूनाइटेड अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने बच्‍ची के ऑपरेशन के बाद उसके पेट में टांके नहीं लगाए को घरवालों को ऐसे ही सौंप दिया। बहरहाल, प्रयागराज के एडीएम सिटी और सीएमओ पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। डीएम का कहना है कि आरोपियों को सख्‍त सजा दिलाई जाएगी।

सोशल मीडिया पर हॉस्पिटल की किरकिरी

निराश पिता ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बेटी की इलाज कि गुहार लोगों से लगाई। वीडियो में पिता न्याय की गुहार लगाते हुए अपने बच्चे की सीजर का खुला हुआ पेट भी दिखा रहा है। वीडियो के पोस्ट होने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर लोग जिला प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री और पीएम से हॉस्पिटल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील कर रहे हैं।

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