इफ्तेखार अहमद की रिपोर्ट
रायपुर गरियाबंद जिले छुरा की रहने वाली 11 साल की गीता के पैरों के पंजे नहीं है। अपनी मासुमियत से इस मुश्किल को हराने के लिए बच्चे ने पानी पीने के काम में आने वाले स्टील के गिलास पैर में फँसा लिए। अब इसी के सहारे चलती है। अब सरकार भी गीता की मदद को आगे आई है। अब राज्य की सरकार गीता के परिवार को घर देने, बच्ची को इलेक्ट्रिक साइकिल देने और पैरों का इलाज करवाने का जिम्मा लेने जा रही है।
मुख्यमंत्री ने ये भी निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ विभाग रायपुर की टीम तुरंत गीता की आवश्यक मेडिकल जांच के लिए उसके गांव जाएगी। ये जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री के दफ्तर भेजी जाएगी। ताकि गीता के पैरों का इलाज हो सके और वो खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सके। गीता के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
पैरों से बहता था खून तो बच्ची ने किया जुगाड़
11 साल की गीता के बचपन से ही दोनों पैरों के पंजे नहीं हैं। बिना पंजों के चलने की वजह से उसे कंकड़ गड़ जाया करते थे। पैरों से कई बार खून निकल आता था। माता-पिता की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं कि वो बेटी का इलाज करवा सकें। आखिरकार बेटी ने खुद ही एक जुगाड़ ढूंढा और अपने पैरों में गिलास लगाकर चलने लगी।
गीता के पिता देवीराम गोंड और उसकी मां दोनों सुबह से ही मजदूरी करने चले जाते हैं। गीता रोज चुपचाप गिलास में पैर डालकर चलने की प्रैक्टिस करती थी। एक दिन जब शाम को माता-पिता घर आए, तो वह दौड़कर अपने पिता के गले लग गई। उसके पिता की भी आंखें भर आई। बेटी की ये कोशिश उन्हें खुशी भी दे रही थी। बच्ची का परिवार चाहता है कि गीता का इलाज ठीक तरह से हो जाए ताकि वो भी अपने कदम कामयाबी के रास्ते पर बढ़ा सके।