यूपी की ग्राम पंचायतों की आमदनी बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, गांव के अत्यंत निर्धनतम परिवारों के आर्थिक उत्थान के लिए जल्द ही कुछ और निर्णय लिए जाएंगे। यह निर्णय ग्राम प्रधानों की एक कमेटी की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के अध्ययन के बाद होंगे। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने इस बाबत अलग-अलग जिलों के सात चुने हुए ग्राम प्रधानों की कमेटी गठित की है।

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इस कमेटी में सोनभद्र के राबर्टसर्गंज विकास खण्ड की वेलकप ग्राम पंचायत के प्रधान संजय सिंह, हाथरस जिले के हाथरस विकास खण्ड की ग्राम पंचायत राजपुर की प्रधान प्रियंका तिवारी, वाराणसी के सेवापुरी विकास खण्ड की ग्राम पंचायत हाथी के प्रधान अखिलेश गुप्ता, गोरखपुर के विकास खण्ड सहजनवा की ग्राम पंचायत हरपुर के प्रधान मुरारी गुप्ता शामिल किए गए हैं। इनके अलावा झांसी के मऊरानीपुर विकास खण्ड की मऊदेहात ग्राम पंचायत के अकरम, खीरी के विकास खण्ड पसगंवा की ग्राम पंचायत मल्लापुर की प्रधान सविता सिंह और बिजनौर के नूरपुर विकास खण्ड की पंचायत सुनगढ़ के प्रधान लोकेन्द्र चौहान को भी इस कमेटी में सदस्य बनाया गया है। पंचायतीराज विभाग के अपर निदेशक प्रशासन राजकुमार इस कमेटी के संयोजक होंगे।

बीती सात अक्तूबर को इस बारे में जारी आदेश में कहा गया है कि यह कमेटी आपस में विचार विमर्श कर जरूरत अनुसार विशेषज्ञों से सम्पर्क कर एक महीने के अन्दर अपनी संस्तुति शासन को उपलब्ध करवाएगी। यह कमेटी पंचायतों की कार्य प्रणाली के सुदृढ़ीकरण और गुणवत्ता बढ़ाने, कार्यों में पारदर्शिता लाने, ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा सेवाओं में सुधार और पंचायतों के अत्यंत निर्धनतम परिवारों के आर्थिक उत्थान व उनको आत्म निर्भर बनाने के बारे में अपनी सिफारिश देगी।

फिलहाल ग्राम पंचायतों के पास अपनी आमदनी का कोई जरिया नहीं है। गांव में लगने वाली हाट के ठेके जिला पंचायत उठाती है जबकि गांव के झील-तालाब में मत्स्य पालन व उनके शिकार के ठेके राजस्व विभाग उठाता है। गांव में मरने वाले मवेशियों के चमड़े व हड्डी आदि उठाने के ठेके भी जिला पंचायत ही उठवाती हैं। शासन द्वारा गठित यह कमेटी की सिफारिश पर इनमें से कुछ ठेके उठाने का अधिकार ग्राम पंचायतों को दिया जा सकता है। इसके अलावा जिन गांवों में नल से पेयजल आपूर्ति हो रही है, वहां वाटर टैक्स और पथकर वसूली के अधिकार भी ग्राम पंचायतों को मिल सकते हैं।

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