1300 तेरह सौ रुपए उधार वापस करने के लिए एक हिन्दू सहपाठी अपने मुस्लिम सहपाठी को ढूंढने में 42 साल लग गए 1300 रुपए अदा करने के लेकिन जब मिले तो ऐसा लग रहा था वह अपने कॉलेज के कैम्पस में बैठ के एक दूसरे के बातो में खोए हुए है 1980 में इलाहाबाद विश्व विद्यालय में पढ़ने के दौरान हिन्दू दोस्त ने अपने मुस्लिम दोस्त से लिए थे 1300 उधार जिसे वापस करने के लिए 42 से ढूंढ रहा था

प्रतापगढ। प्रतापगढ जनपद के रानीगंज थाना क्षेत्र के सराय भरत राय गंभीरपुर निवासी ताज उद्दीन उर्फ बाबा सन 1980 में इलाहाबाद विश्व विद्यालय में एल एल बी की पढ़ाई कर रहे थे। तभी एक दिन उनके पास इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही बी ए की पढ़ाई कर रहे प्रतापगढ जनपद के गोडे निवासी सुरेन्द्र सिंह सन 1980 में 1300 तेरह सौ रुपए किसी काम के लिए ताज उद्दीन उर्फ बाबा से उधार लिए थे उसके बाद उस दिन के बाद से दोनों लोग कभी मिले नही अपनी अपनी पढ़ाई कर दोनो लोग अलग हो गए दुबारा मुलाकात नही हुई ताजुद्दीन उर्फ अपना खुद का व्यवसाय करने लगे तो सुरेंद्र सिंह किसी सरकारी नौकरी करने लगे अब दोनो लोग रिटायर्ड भी हो चुके है।

दो दिन पहले सुरेंद्र सिंह अपने दोस्त की नर्सरी पर बैठे थे तभी रानीगंज क्षेत्र के एक लोग से मुलाकात हुई बात चीत में बाबा का नाम आया तो सिंह साहब को याद आया कही वो वही तो नही जिसने मुझे उधार रुपए दिए थे पूरी जानकारी करने के बाद सिंह साहब की आंखे भर आई और वह वहा से तुरंत 42 साल बाद अपने साथी से मिलने के लिए निकल पड़े और वह ताज उद्दीन उर्फ बाबा से मिले दोनो लोग एक दूसरे को पहचाने एक पल के लिए दोनो की आंखे भी भर आई कुछ देर दोनो में पुरानी बाते हुई

उसके बाद बाबू साहब ने एक लाख पैंतीस हजार रुपए उस तेरह सौ रुपए उधार के बदले देने लगे जिससे बाबा ने लेने से मना कर दिया दोनो में काफी देर जद्दोजहद चलती रही लेकिन बाबा ने पैसा लेने से मना कर दिया

अंत में मायूस सुरेंद्र सिंह ने दोस्ती का हवाला देते हुए केवल पांच हजार रुपए काबुल करने को कहा जिससे बाबा ने कबूल कर लिए। 1300 रुपए उधार के पैसे से ही वह नौकरी के लिए आवेदन किया था जिसके बाद वह नौकरी पा कर सेवा भी किया अब कुछ दिन पहले ही रिटायर्ड हो kr घर आया

ऐसे दोस्त ऐसे लोग आज के दौर में एक मिसाल है। जहां एक तरफ हिन्दू मुस्लिम में दूरियां बढ़ रही ऐसे में देखा जाया तो एक जोड़ने वाली कड़ी हो सकती है

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