Section 144 (CrPC)धारा 144 और कर्फ्यू में क्या अंतर है? यहां जानिए हर सवाल का जवाब
चाय की टपरी से लेकर अखबार के पहले पन्ने तक, यह खबर हमने कई बार सुनी पढ़ी है. अभी लद्दाख के लेह जिले में सोनम वांगचुक के बॉर्डर मार्च से पहले धारा 144 लगा दी गई तो कुछ दिन पहले बाहुबली राजनेता मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूरे यूपी में धारा 144 लागू कर दी गई थी.
ऐसे में शायद आपके जेहन में भी सवाल आता ही होगा कि आखिर क्या है धारा 144 ? यह किसकी धारा है? कब और कौन लागू करता है? इसमें क्या करना मना होता है और क्या करना मना नहीं होता है? अगर उस दिन आपकी शादी होगी तो उसके लिए भी परमिशन लेनी पड़ेगी..? अगर किसी ने इसका उल्लंघन किया तो उसे कितनी सजा होती है? धारा 144 और कर्फ्यू में क्या अंतर है…?
चलिए आपके इन सभी सवालों का जवाब देते हैं.
क्या है धारा 144? इसके लागू होने से क्या होता है?
जिसे हम धारा 144 बुलाते हैं वो दरअसल भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 है. धारा 144 लागू होने के बाद किसी भी स्थान पर एक वक्त पर चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. ऐसे में शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहते हैं. लोगों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह इस दौरान कोई भी सार्वजनिक सभा या रैलियां आयोजित नहीं करेंगे. ना ही ऐसे किसी आयोजन का हिस्सा होंगे. हालांंकि कुछ परिस्थितियों में इसमें अपवाद शामिल हैं जो हम आपको आगे बताएंगे.
इस धारा को किसी विशेष व्यक्ति पर भी लगाया जाता है जिससे उस व्यक्ति के किसी इलाके में जाने या उसके द्वारा किसी काम को किए जाने पर बैन रहेगा
धारा 144 कौन लागू कर सकता है?
धारा 144 लागू करने का अधिकार राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी जिला मजिस्ट्रेट के पास होता है.
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला अधिकारी किसी संपत्ति को भी अपने नियंत्रण में ले सकते हैं. हालांकि ऐसा नोटिस जारी करने के लिए कुछ नियमों और शर्तों को पूरा करना होता है. इसके साथ ही जिला अधिकारी चाहे तो इस धारा के तहत इलाके में इंटरनेट पर भी प्रतिबंध लगा सकता है
धारा 144 क्यों लागू किया जाता है?
धारा 144 को किसी इलाके में तब लगाया जाता है जब किसी घटना के बाद या उससे पहले प्रशासन को आशंका हो कि क्षेत्र में शांति भंग हो सकती है. इसका इस्तेमाल किसी आपदा के दौरान भी किया जाता है. जैसा कि कोरोनाकाल के दौरान वायरस के फैलाव को रोकने के लिए देशभर में धारा 144 लागू की गई.
धारा 144 कितनी देर के लिए लागू होती है?
धारा 144 के तहत कोई भी आदेश दो महीने से ज्यादा समय तक लागू नहीं रखा जा सकता है. लेकिन अगर राज्य सरकार को लगता है कि हालात सामान्य नहीं हैं तो वह इसकी वैधता को दो महीने और ज्यादा से ज्यादा छह महीने तक बढ़ा सकती है. स्थिति सामान्य होने पर इसे किसी भी वक्त वापस लिया जा सकता है.
कैसे लागू होती है धारा 144?
किसी भी इलाके में धारा 144 लागू करने के लिए जिलाधिकारी अपने अधिकार का इस्तेमाल कर एक नोटिस जारी करता है. नोटिस जारी होने के साथ ही जिले में धारा 144 लागू हो जाती है. धारा 144 वाले क्षेत्र में सारे कानूनी अधिकार जिला मजिस्ट्रेट के हाथ में होते हैं.
जिलाअधिकारी धारा 144 को लागू करने के लिए जो नोटिफिकेशन जारी करता है, उसमें निम्न कारणों का जिक्र होना जरूरी है.
किस कारण से लगाया जा रहा है?
किन जगहों और इलाकों में लागू किया जा रहा है?
धारा 144 की पाबंदी कितने वक्त के लिए होगी?
लागू करने की तारीख और समय का उल्लेख
साथ ही अगर कोई विशिष्ट विवरण हो तो उसकी जानकारी
क्या धारा 144 के आदेश को चुनौती दी जा सकती है?
अगर कोई व्यक्ति अपने इलाके में धारा 144 लगाने के खिलाफ है तो उसे जिला मजिस्ट्रेट के पास एक रिव्यू पिटीशन (समीक्षा याचिका) दायर करनी होगी. अब डीएम खुद अपने आदेश पर दोबारा विचार कर अपना फैसला सुनाएगा. लेकिन इसके अलावा आप संविधान के आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट भी जा सकते है. लेकिन अमूमन हाई कोर्ट में सुनवाई तक काफी देर हो चुकी होती है.
किसी के जनाजे या शादी में भी जाने से रोक?
एक सवाल है कि क्या यह धारा निजी आयोजन जैसे किसी के बर्थडे, शादी या किसी के जनाजे में शामिल होने पर भी पाबंदी लगाती है? तो इसका जवाब ‘नहीं’ है
धारा 144 के उल्लंघन पर क्या है सजा?
धारा 144 लागू हुए क्षेत्र में गैरकानूनी तरीके से इकट्ठे होने पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और उसके खिलाफ दंगे में शामिल होने के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है. हालांकि यह एक जमानती अपराध है. यानी कि इसमें जमानत मिल जाती है. मामले में आरोपी साबित होने पर ज्यादा से ज्यादा व्यक्ति को 3 साल कैद की सजा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ने बताया, “धारा 144 को लागू करने का मूल मकसद उस इलाके में ‘शांति भंग’ नहीं होने देना है. इसके साथ ही यह पब्लिक प्लेस में लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाती है. लेकिन अगर चारदीवारी के अंदर कोई आयोजन हो रहा है और इससे किसी तरह कि कोई शांति भंग नहीं हो रही है तो प्रशासन इसपर कोई कार्यवाही नहीं करता.”
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक किसी के जनाजे या बारात को सार्वजनिक जगह से निकालने की बात है, तो ऐसे में सही निर्णय यह होता है कि वह व्यक्ति जिला अधिकारी से लिखित इजाजत ले ले. ऐसे मामलों में प्रशासन कुछ शर्तों और नियमों के तहत आयोजन करने का आदेश दे देता है. जिला अधिकारी की मूल शर्त यह होती है कि आयोजन की वजह से इलाके की शांति भंग नहींं होनी चाहिए.”
धारा 144 और कर्फ्यू में क्या अंतर है?
धारा 144 संबंधित क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाती है, ऐसे में लोग अकेले आ जा सकते हैं. जबकि कर्फ्यू के दौरान लोगों को एक विशेष अवधि के लिए घर के अंदर रहने की हिदायत दी जाती है.
धारा 144 के तहत बैंक, एटीएम और दुकानें खुली रहती है लेकिन कर्फ्यू में अस्पताल जैसी जरूरी सेवाओं को छोड़कर यातायात और बाकी सेवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध रहता है.
कर्फ्यू के तहत बाजार, स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहते हैं और केवल आवश्यक सेवाओं को पहले सूचित किए जाने पर चलने की अनुमति है.
संक्षेप में कहें तो भीड़ पर काबू पाने और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए धारा 144 के बाद का अगला कदम कर्फ्यू होता है.