प्रतापगढ़। जनपद न्यायालय ने सोमवार को दो अलग-अलग मामलों में अहम फैसले सुनाते हुए दोषियों को कठोर सजा दी। एक मामले में गैरइरादतन हत्या और मारपीट के आरोपियों को 10-10 वर्ष की कैद हुई, वहीं दूसरे मामले में नाबालिग से छेड़छाड़ व मारपीट के आरोपी को 4 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई।

गैरइरादतन हत्या मामले में दो को 10-10 साल की कैद

सत्र न्यायाधीश रामलाल द्वितीय की अदालत ने मकालू उर्फ विनोद और भानु उर्फ रणजीत (निवासी भनईपुर दयालगंज, थाना आसपुर देवसरा) को गैरइरादतन हत्या, मारपीट और गाली-गलौज के आरोप में 10-10 वर्ष का कठोर कारावास और 5-5 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

यह मामला 15 अगस्त 2015 का है। शिकायतकर्ता महेंद्र सुत सोमनाथ चौहान ने बताया कि वे शाम सात बजे अपने खेत की रखवाली कर रहे थे। इसी दौरान दयालपुर गांव के आरोपी मकालू, भानु, भुल्लारे और हरिश्चंद्र ने आकर अनायास गाली-गलौज शुरू कर दी और लाठी-डंडों से हमला बोल दिया।

महेंद्र के शोर मचाने पर उनके पिता सोमनाथ, बृजेश कुमार और अमर सिंह चौहान बचाने पहुंचे तो हमलावरों ने उन्हें भी पीट दिया। इस मारपीट में गंभीर चोट लगने से अमर सिंह चौहान की मौत हो गई थी। मामले के अन्य आरोपी भुल्लारे और हरिश्चंद्र को पूर्व में ही सजा सुनाई जा चुकी है। इस मुकदमे में राज्य की ओर से एडीजीसी देवेंद्र गुप्ता ने पैरवी की।

पॉक्सो कोर्ट का फैसला : नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाला दोषी

एक अन्य मामले में पॉक्सो कोर्ट की विशेष न्यायाधीश पारुल वर्मा ने समर बहादुर उर्फ राहुल को 4 वर्ष कारावास और 15 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

यह घटना 11 सितंबर 2019 की सुबह हुई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, उनकी नाबालिग बेटी अपनी छोटी बहन के साथ घर से लगभग 300 मीटर दूर गई थी। तभी दोषी राहुल ने गलत नीयत से छेड़छाड़ की और उसे झाड़ियों की ओर खींचने लगा। जब पीड़िता ने शोर मचाया तो उसने लाठी से हमला कर उसका बायां हाथ तोड़ दिया और पैरों व कमर में गंभीर चोट पहुंचाई। ग्रामीणों के पहुंचने पर आरोपी वहां से भाग गया लेकिन जाते-जाते धमकी दी कि “कब तक बचोगी, जान से मार दूंगा।”

कोर्ट ने अर्थदंड की राशि पीड़िता को चिकित्सीय उपचार, मानसिक आघात की भरपाई और पुनर्वास हेतु देने का आदेश दिया। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक निर्भय सिंह ने पैरवी की।

न्याय की उम्मीद को मिला सहारा

दोनों मामलों में अदालत के फैसले से पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है। अदालत ने स्पष्ट किया कि समाज में अपराध और महिलाओं के प्रति अमर्यादित व्यवहार करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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