नई दिल्ली. ताजमहल फतेहपुर सीकरी, कुतुबमीनार सहित देश की सभी ऐतिहासिक इमारतों पर ताला डाल दिया गया है. पर्यटकों की एंट्री बंद कर दी गई है. कोरोना वायरस से बचाव के चलते यह कदम उठाया गया है. लेकिन 372 साल में ताजमहल पर ताला डालने का यह दूसरा मौका है. इससे पहले 1971 में ताजमहल को 15 दिन के लिए बंद किया गया था. अब एक बार फिर से 15 दिन के लिए 31 मार्च तक ताजमहल को बंद किया गया है. हर महीने ताज की टिकटों से करोड़ों रुपये की इनकम होती है.
10 करोड़ रुपये तक होती है ताज से इनकम
वैसे तो ताजमहल पर टिकटों से होने वाली इनकम सीजन और ऑफ सीजन पर निर्भर करती है. लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ताजमहल पर हर महीने 9 से 10 करोड़ रुपये तक की टिकट बिक जाती हैं. वहीं कुतुबमीनार से हर महीने 2 से ढाई करोड़ रुपये, फतेहपुर सीकरी से भी करीब एक करोड़ रुपये की इनकम होती है.
हरे कपड़े से ढककर 15 दिन को किया था बंद
वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था. आगरा पर भी बमबारी हो रही थी. कर्नल जीएम खान की मानें तो उस वक्त पाक ने आगरा पर भी बम गिराए थे. आगरा एयर फोर्स स्टेशन को टॉरगेट करते हुए 16 बम गिराए गए थे. इसी दौरान ताजमहल के बारे में भी सोचा जाने लगा. पाक ताजमहल पर भी बम गिरा सकता था. इसलिए ताजमहल को 15 दिन तक के लिए बंद कर दिया गया. ताज की सुरक्षा के लिए उसे हरे रंग के कपड़े से ढक दिया गया. ताज की मीनारों पर लकड़ी की पाड़ बनाकर उस पर हरा कपड़ा लटका दिया गया.
इतना ही नहीं चांदनी रात में ताजमहल के पत्थर चमकें नहीं इसलिए ताज के फर्श पर घास और पेड़ की टहनियां बिछा दी गईं थी. कहा जाता है कि इसके बाद भी पाक ने ताज को निशाना बनाते हुए एक बम गिराया था. लेकिन वो ताज पर गिरने के बजाए यमुना नदी की रेत में गिरा था. और इस तरह से ताज बम का निशाना बनने से बच गया था.
अब दूसरी बार इसे कोरोना वायरस के डर से बंद किया गया है. क्योंकि यहां रोजाना 18 से 20 हज़ार पर्यटक आते हैं. बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी इसका दीदार करते हैं. प्रशासन नहीं चाहता कि यहां की भीड़भाड़ से कोई दिक्कत पैदा हो.
रायपुर से इस्तेखार अहमद को रिपोर्ट